अब किसानों को बिना किसी प्रत्यक्ष नुकसान प्रमाण के मिलेगा मुआवजा

 अब किसानों को बिना किसी प्रत्यक्ष नुकसान प्रमाण के मिलेगा मुआवजा
आईएमडी विकसित कर रहा नया मॉडल
मौसम की मार झेलने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय कमोडिटी एवं डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते के बाद भारत में पहली बार मौसम आधारित वित्तीय उत्पाद वेदर डेरिवेटिव तैयार किए जाएंगे। इसका मकसद किसानों को बारिश, सूखा, लू और अन्य मौसमी आपदाओं से फसल हानि के लिए मुआवजा देना है। वह भी बिना किसी प्रत्यक्ष नुकसान के प्रमाण के।
यह नवाचार न केवल किसानों के लिए बल्कि परिवहन, पर्यटन, लॉजिस्टिक्स जैसे मौसम-निर्भर उद्योगों के लिए भी सुरक्षात्मक कवच का काम करेगा।
इस मॉडल का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसानों को सिर्फ मौसम संबंधी मानकों के आधार पर सीधा मुआवजा मिलेगा। इससे बीमा दावों में देरी, निरीक्षण की जटिलता और सरकारी प्रक्रियाओं से जुड़ी बाधाएं भी दूर होंगी। वेदर डेरिवेटिव से तात्पर्य ऐसे वित्तीय अनुबंध से है, जो किसी विशेष मौसमीय घटक जैसे वर्षा, तापमान या सूखा के आधार पर मुआवजा या लाभ प्रदान करते हैं, भले ही फसल को प्रत्यक्ष नुकसान हुआ हो या नहीं। इस संबंध में जारी विज्ञप्ति के अनुसार, मानसून की मार झेल रहे किसानों को राहत मिलेगी। वे बारिश की कमी या अधिकता के आधार पर मुआवजे के पात्र हो सकेंगे। मौसम के आधार पर तैयार होने वाले इन उत्पादों से किसानों की आय स्थिर हो सकती है। फसल बीमा योजनाओं की तुलना में यह अधिक पारदर्शी और त्वरित मदद देगा। यहां उत्पाद का मतलब है, ऐसी सुविधा वाला सिस्टम, जो मौसम खराब होने पर किसान को मुआवजा दिलाए। जैसे बीज, खाद या बीमा की तरह यह भी एक आर्थिक सुरक्षा देने वाली योजना है।