दिल्ली का सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम बदलेगा नए अवतार में

 दिल्ली का सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम बदलेगा नए अवतार में

एनबीसीसी और एनएफडीसी ने मिलकर रचा सांस्कृतिक पुनर्जागरण का खाका

Political Trust-दिल्ली

3 जुलाई 2025
देश की राजधानी में स्थित प्रतिष्ठित सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम को एक भव्य और आधुनिक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में पुनः विकसित किया जाएगा। इसके लिए एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

चार दशक से अधिक पुराना यह प्रेक्षागृह, जो एशियाई खेल 1982 के दौरान बनाया गया था, अब भारत की अगली पीढ़ी की सांस्कृतिक उपलब्धियों का केंद्र बनने जा रहा है। 5.5 एकड़ क्षेत्र में फैला यह परिसर चार प्रेक्षागृहों और 2,600 से अधिक दर्शकों की सामूहिक क्षमता के साथ, पहले ही अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों, संगीत समारोहों और सामाजिक विमर्शों का प्रमुख मंच रहा है।

अब इसे एक “फ्यूचर-रेडी कल्चरल हब” के रूप में पुन: कल्पित किया गया है, जिसमें होगा—

अत्याधुनिक प्रदर्शन एवं रंगमंच स्थल,

फिल्म एवं मीडिया हब – स्क्रीनिंग, प्रदर्शनियों और सिनेमा संग्रह के लिए,

सम्मेलन एवं संवाद मंच – नीति शिखर सम्मेलनों और संगोष्ठियों के लिए,

कला एवं संस्कृति क्षेत्र – दृश्य कला, मूर्तिकला और प्रतिष्ठानों हेतु,

साथ ही एक पाककला प्लाजा, सांस्कृतिक बाजार, बुक फेयर और इमर्सिव हेरिटेज गैलरी।

इस नए परिसर में गतिक मंच वास्तुकला, इमर्सिव ऑडियो-विजुअल तकनीक, हाई-स्पीड डिजिटल कनेक्टिविटी और सर्वसुलभ पहुंच जैसी वैश्विक सुविधाएं होंगी। निर्माण LEED, IGBC और GRIHA जैसे हरित भवन मानकों के अनुसार किया जाएगा, जो भारत की सतत विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एनबीसीसी इस परियोजना का परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता (PMC) होगा और डिज़ाइन, निर्माण, अनुमोदन और निष्पादन की सभी जिम्मेदारियां निभाएगा। एनएफडीसी इसकी लागत वहन करेगा। परियोजना की निगरानी के लिए एक संयुक्त अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा।

समझौते पर हस्ताक्षर के अवसर पर श्री प्रभात, अपर सचिव (सूचना एवं प्रसारण), डॉ. सुमन कुमार, निदेशक (वाणिज्य), एनबीसीसी, अजय ढोके, महाप्रबंधक (उत्तर), एनएफडीसी, रितुपर्णा सूर, महाप्रबंधक, एनबीसीसी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

यह परियोजना सिरी फोर्ट को केवल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक कल्पना को भी एक नई ऊंचाई देने वाली पहल मानी जा रही है। जब इसका पुनः उद्घाटन होगा, तो यह केवल एक परिसर नहीं, बल्कि भारत के सांस्कृतिक नवजागरण का प्रतीक बनकर उभरेगा।