अपने दोस्त को UPI से किया 50 हजार रुपये ट्रांसफर तो उस पर कटेगा इनकम टैक्स? जानिए नया कानून

 अपने दोस्त को UPI से किया 50 हजार रुपये ट्रांसफर तो उस पर कटेगा इनकम टैक्स? जानिए नया कानून
नई दिल्ली। नए आयकर कानून के मुताबिक इनकम टैक्‍स में अब वो रकम भी आएगी जो आप अपने दोस्त को यूपीआई के जरिए ट्रांसफर कर रहे हैं। देश में इनकम टैक्‍स का दायरा धीरे—धीरे बढ़ रहा है। अब हर डिजिटल लेनदेन पर आयकर विभाग की नजर है। अब ये कहना ज्‍यादा नहीं होगा कि इनकम टैक्‍स विभाग की नजर हर जगह है। ऐसे में अगर अपने दोस्‍त को यूपीआई के जरिये 50 हजार रुपये भेजता है तो आयकर अधिनियम के तहत इनकम टैक्‍स के दायरे में आएगा।
हालांकि इनकम टैक्‍स कानून 1961 की धारा 56(2) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई गिफ्ट देता है तो वह टैक्‍स के दायरे से बाहर रहता है। इस कानून में कहा है कि न सिर्फ तोहफा, बल्कि कोई आपकी मदद करता है तो वह रकम भी इनकम टैक्‍स के दायरे से बाहर रहेगी। हालांकि, इसका एक दायरा निश्चित किया गया है। उस दायरे से बाहर की रकम पर इनकम टैक्‍स लगाया जा सकता है।
इनकम टैक्‍स कानून कहता है कि अगर कोई करीबी रिश्‍तेदार है तो वह कितनी भी रकम उपहार के रूप में दे सकता है। हालांकि, अगर कोई दूर का रिश्‍तेदार है या फिर कोई मित्र आपको यह उपहार दे रहा है तो इसकी रकम 50 हजार रुपये से ज्‍यादा नहीं होनी चाहिए। अगर यह रकम 50 हजार से ज्यादा होगी तो शेष रकम लेने वाले की कमाई में जोड़ी जाएगी और उसी आधार पर टैक्‍स की गणना भी की जाएगी।
लेनदेन पर क्‍या है कानून
आयकर विभाग ने आपसी लेनदेन को लेकर भी कानून बनाया है। अगर कोई आपको 50 हजार की रकम कारोबारी उद्देश्‍य के लिए देता है या फिर इनकम के लिए अथवा सेवाओं (फ्रीलांसिंग, बिजनेस भुगतान आदि) के तहत यह पैसा मिलता है तो इसे लेने वाली की आमदनी में जोड़ा जाएगा। इस पर उस व्‍यक्ति के स्‍लैब के हिसाब से टैक्‍स भी लगाया जाएगा।
दोस्‍त ने यूपीआई से दिया है तो…
अगर 50 हजार रुपये आपके दोस्‍त ने यूपीआई के जरिये भेजे हैं, जो आपकी निजी मदद के लिए है तो यह टैक्‍स के दायरे में नहीं आएगी। यह रकम चाहे अकाउंट में आई हो या फिर यूपीआई के जरिये भेजी गई है। इनकम टैक्‍स सिर्फ उसी रकम पर लगाया जाता है जो आयकर के दायरे में आती है। अगर आपका दोस्‍त कोई पैसा कर्ज के रूप में देता है तो बेहतर होगा कि उसका लोन एग्रीमेंट बनवा लिया जाए, ताकि भविष्‍य में इनकम टैक्‍स विभाग के मांगने पर प्रमाणित किया जा सके।