आईटीआर-2 और आईटीआर-3 फॉर्म के लिए सरकार ने दी नई डेडलाइन

 आईटीआर-2 और आईटीआर-3 फॉर्म के लिए सरकार ने दी नई डेडलाइन
एक्सपर्ट से समझें टैक्सपेयर्स का गणित
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इन फॉर्म्स की फाइलिंग की अंतिम तारीख 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी है।
इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने का समय शुरू हो गया है। लेकिन आईटीआर-2 और आईटीआर-3 फॉर्म्स की यूटिलिटी अब तक इनकम टैक्स पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। यह फॉर्म्स उन टैक्सपेयर्स के लिए होते हैं जिनकी आमदनी सैलरी के अलावा पूंजीगत लाभ, फ्रीलांस काम या बिजनेस से होती है। यानी आसान कैटेगरी नहीं है। ऐसे में लाखों टैक्सपेयर्स असमंजस में हैं।
सीबीडीटी ने डेडलाइन बढ़ाई, लेकिन सतर्क रहने की सलाह
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इन फॉर्म्स की फाइलिंग की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी है। लेकिन टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके बावजूद लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
जानिए देरी की वजह?
इस साल आईटीआर फॉर्म्स में कई बड़े बदलाव किए गए हैं।
इन बदलावों के कारण बैकएंड सिस्टम को अपग्रेड करना पड़ा, यूटिलिटी को फिर से तैयार किया गया और डेटा की जांच भी करनी पड़ी।
AIS (Annual Information Statement) और TIS (Taxpayer Information Summary) के डेटा को सिंक्रनाइज़ करने में दिक्कतें आई हैं। साथ ही, इंटरनेशनल रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड्स और CBDT के नए सर्कुलर के अनुसार डिटेल्स में बदलाव भी किए गए हैं। कैपिटल गेन, विदेशी संपत्ति और अनुमानित आय (Presumptive Income) से जुड़े नियम भी बदले हैं, जिससे यूटिलिटी और जटिल हो गई है। इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले जरूरी है AIS की जांच, नहीं तो डिपार्टमेंट का आ सकता है नोटिस।
ITR Filing 2025: टैक्सपेयर्स अभी क्या करें?
विशेषज्ञों का कहना है कि फॉर्म भले ही न आए हों, लेकिन टैक्सपेयर्स अभी से तैयारी शुरू करें।
AIS, TIS और फॉर्म 26AS का मिलान करें
डिविडेंड, ब्याज और कैपिटल गेन की डिटेल्स चेक करें
Chapter VI-A के तहत मिलने वाली छूट की गणना कर लें
सेक्शन 234B से बचने के लिए एडवांस टैक्स की सही जानकारी रखें।
अगर आपने अपनी आमदनी का ब्योरा, छूट के प्रमाण और बिजनेस लेजर तैयार रखे तो फॉर्म रिलीज होते ही आप तुरंत रिटर्न फाइल कर पाएंगे।
क्या रिफंड और डेडलाइन पर असर पड़ेगा?
हालांकि समय सीमा बढ़ाई गई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे फाइलिंग विंडो छोटी हो गई है। जल्दबाजी में रिटर्न फाइल करने से गलती हो सकती है और रिफंड में देरी हो सकती है।” अगर 15 सितंबर के बाद फाइलिंग की गई तो सेक्शन 234A के तहत ब्याज देना पड़ सकता है, भले ही फॉर्म देरी से जारी हुए हों।
फॉर्म रिलीज के बाद सावधानी जरूरी
यूटिलिटी आने के बाद फॉर्म में भरी गई प्री-फिल्ड जानकारी को अच्छी तरह जांचें। AIS और TIS से डेटा मैच नहीं हुआ तो नोटिस आ सकता है। शाह ने यह भी कहा कि पिछले साल के फॉर्म्स को देखकर अंदाजा न लगाएं, क्योंकि इस बार लॉजिक और स्कीमा में बदलाव किया गया है। ऐसे में किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद लेना समझदारी होगी।