लखनऊ। भीषण गर्मी के बीच उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती से हाहाकार मच गया है। गर्मी में बिजली की मांग 31 हजार मेगावाट पर पहुंच गई है। गांवों में बिजली कटौती चरम पर है। किसानों को फसल सिंचाई करने को पानी नहीं मिल रहा है। बिजली कटौती के चलते खेत में बिना पानी के फसल सूख रही है और गांव में बिजली ना होने पर ग्रामीण परेशान हैं। बिजली कटौती का आलम ये है कि गांव से शहरों तक 8 से 10 घंटे बिजली कटौती होने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी के बीच बिजली कटौती भी जबरदस्त हो रही है। शहरों में बिजली कटौती के साथ ही लोगों को ट्रिपिंग और लो वोल्टेज जैसी परेशानी भी झेलनी पड़ रही है। वहीं ग्रामीण इलाकों में रोस्टर से करीब एक घंटे कम बिजली मिल रही है। बिजली कटौती बढ़ने की वजह से उमसभरी गर्मी में उपभोक्ताओं में हाहाकार मचा है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर उपकेंद्र घेरने और धरना- प्रदर्शन की भी सूचनाएं आ रही हैं। बिजली कटौती से ग्रामीण इलाकों के कल-कारखाने भी ठप हो गए हैं। सिंचाई न हो पाने की वजह से सब्जी की खेती भी प्रभावित हो रही है।
ग्रामीण इलाके के उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली आती है तो बीच-बीच में कटौती का दौर जारी रहता है। पॉवर काॅर्पोरेशन के आंकड़े भले आधे घंटे की कटौती का दावा कर रहे हैं, लेकिन लोकल फॉल्ट घंटों तक बना रहता है। इतना ही नहीं जहां ट्रांसफार्मर जल गए हैं, उन्हें बदलने में कई दिन लग रहा है। कई अवर अभियंता तो इस वजह से भी ट्रांसफार्मर बदलने में आनाकानी करते हैं क्योंकि उनके क्षेत्र में ट्रांसफार्मर जलने की घटना से जुड़े आंकड़े अधिक होने पर कार्रवाई की धमकी दी गई है।
अभियंताओं के सामने आगे कुंआ, पीछे खाई
कई अभियंताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनके सामने दोहरी समस्या हो गई है। ट्रांसफार्मर जलने की घटना पर कार्रवाई के साथ ही उपभोक्ताओं के गुस्से का भी शिकार होना पड़ता है। अभियंताओं ने बताया कि एक तरफ तापमान बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ बिजली की मांग अधिक है। ऐसे में ट्रांसफार्मर ओवरलोड हो जाते हैं। उन्हें ठंडा रखने के इंतजाम भी पूरे नहीं हैं। ऐसे में कुछ देर के लिए फीडरवार कटौती की जाती है ताकि ट्रांसफार्मर जलने की संख्या नियंत्रित रहे।