जब अंग्रेज हमे चाय का आदी बना सकते हैं तो हम अंग्रेजों का आम का आदी क्यों नहीं बना सकते…”
- उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय
Political Trust
- June 15, 2025
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मेरठ। ‘जब अंग्रेज हमे चाय का आदी बना सकते हैं तो हम अंग्रेजों का आम का आदी क्यों नहीं बना सकते’…। ये बातें प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने मेरठ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से प्रदेश में सब्जी, मसाला और अन्य फसलों की पैदावार बढ़ी है। आज उत्तर प्रदेश फल एक्सपोर्ट कर रहा है। जेवर एयरपोर्ट शुरू होने के बाद पश्चिम उप्र ही नहीं, बल्कि उप्र का किसान अपने अनाज के अलावा सब्जी, शहद,फल, मसाले और दवाइयां सस्ते किराए से विदेश एक्सपोर्ट कर सकेंगे।
उद्यान विभाग के स्वर्णिम 50 वर्ष पूरे होने पर चौ. चरण सिंह विवि के नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्रेक्षागृह में मंडलीय औद्यानिक उन्नयन गोष्ठी में किसानों को संबोधित करते हुए मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने यह बात कही।
हमारे पास सीधे समुद्री मार्ग नहीं
उन्होंने कहा कि हमारे पास सीधे समुद्री मार्ग नहीं है, जिससे इससे हम सस्ते किराए पर विदेशों को सब्जी, फल आदि भेज सकें। जेवर एयरपोर्ट शुरू होते ही दुनिया के बाजारों तक पहुंचना शुरू हो जाएंगे। सस्ते किराए पर किसान अपनी उपज को हवाई मार्ग से विदेश भेज सकेंगे। उन्होंने रटौल, मलियाबादी आम का भी जिक्र किया।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ‘जब अंग्रेज हमें चाय का आदी बना सकते हैं तो हम अंग्रेजों को भारत के आम का आदी क्यों नहीं बना सकते हैं’। अंग्रेजों को हमने आम खाना सिखा दिया है। बड़ी मात्रा में आम विदेश जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग की योजनाओं के माध्यम से मेरठ, सहारनपुर मंडल के किसान फल, सब्जी, शहद, मसाले, दवाईयों की खेती कर रहे हैं। गन्ने की फसल से अधिक आय कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कहने को तो कृषि विभाग हमारा यानी उद्यान विभाग का बड़ा भाई है। लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ समय में उद्यान विभाग फसल उत्पादन के क्षेत्र में कृषि विभाग को पीछे छोड़ देगा।
हमारे पास सीधे समुद्री मार्ग नहीं
उन्होंने कहा कि हमारे पास सीधे समुद्री मार्ग नहीं है, जिससे इससे हम सस्ते किराए पर विदेशों को सब्जी, फल आदि भेज सकें। जेवर एयरपोर्ट शुरू होते ही दुनिया के बाजारों तक पहुंचना शुरू हो जाएंगे। सस्ते किराए पर किसान अपनी उपज को हवाई मार्ग से विदेश भेज सकेंगे। उन्होंने रटौल, मलियाबादी आम का भी जिक्र किया।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ‘जब अंग्रेज हमें चाय का आदी बना सकते हैं तो हम अंग्रेजों को भारत के आम का आदी क्यों नहीं बना सकते हैं’। अंग्रेजों को हमने आम खाना सिखा दिया है। बड़ी मात्रा में आम विदेश जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग की योजनाओं के माध्यम से मेरठ, सहारनपुर मंडल के किसान फल, सब्जी, शहद, मसाले, दवाईयों की खेती कर रहे हैं। गन्ने की फसल से अधिक आय कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कहने को तो कृषि विभाग हमारा यानी उद्यान विभाग का बड़ा भाई है। लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ समय में उद्यान विभाग फसल उत्पादन के क्षेत्र में कृषि विभाग को पीछे छोड़ देगा।