आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी के फैसलों का किया एलान, जीडीपी 6.5 प्रतिशत पर बरकरार
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- June 6, 2025
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नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज शुक्रवार को जून माह के एमपीसी के फैसलों का एलान किया है। इस दौरान गवर्नर ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और नए अवसरों की तस्वीर पेश करती है।
जून तिमाही में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि वित्त वर्ष 2026 के विकास अनुमानों की तुलना वित्त वर्ष 2024-25 में दर्ज 6.5 प्रतिशत आर्थिक विकास से की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जून तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत और सितंबर तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान जताया है। वित्त वर्ष 26 की दिसंबर और मार्च तिमाहियों के लिए, जीडीपी वृद्धि क्रमशः 6.6 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
ब्याज दरों में कटौती से आर्थिक विकास को बढ़ावा
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को बेंचमार्क नीति दर में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 5.5 प्रतिशत कर दिया। गवर्नर ने कहा कि ब्याज दरों में अग्रिम कटौती से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “चूंकि वैश्विक माहौल अनिश्चित बना हुआ है, इसलिए मूल्य स्थिरता के बीच घरेलू स्तर पर विकास पर ध्यान देना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इसे देखते हुए, आज के फैसले को विकास को नए रास्ते पर ले जाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।”
अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने की चुनौती
हर दो महीने के अंतराल के बाद होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने इसके फैसलों का एलान किया। उन्होंने बताया कि पूंजी प्रवाह और विनिमय दरों में बढ़ती अस्थिरता के बीच, उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों के पास वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ अपनी अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर रखने कठिन जिम्मेदारी है।
हमारी अर्थ व्यवस्था मजबूत व स्थिर
उन्होंने कहा, “इस वैश्विक परिवेश में, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करती है… बुनियादी बातों का यह मैट्रिक्स भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रभावों से बचाने और इसे तेज गति से बढ़ने के लिए आवश्यक ताकत प्रदान करता है।” मल्होत्रा ने विस्तार से बताते हुए कहा कि ताकत मजबूत बैलेंस शीट से आती है। इसके अलावा, तीनों मोर्चों – महंगाई, वित्तीय हालात और राजनीतिक परिदृश्य स्थिर हैं। लगातार बदल रहे वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में नीतिगत और आर्थिक स्थिरता प्रदान करते हैं।
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि वित्त वर्ष 2026 के विकास अनुमानों की तुलना वित्त वर्ष 2024-25 में दर्ज 6.5 प्रतिशत आर्थिक विकास से की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जून तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत और सितंबर तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान जताया है। वित्त वर्ष 26 की दिसंबर और मार्च तिमाहियों के लिए, जीडीपी वृद्धि क्रमशः 6.6 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
ब्याज दरों में कटौती से आर्थिक विकास को बढ़ावा
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को बेंचमार्क नीति दर में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 5.5 प्रतिशत कर दिया। गवर्नर ने कहा कि ब्याज दरों में अग्रिम कटौती से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “चूंकि वैश्विक माहौल अनिश्चित बना हुआ है, इसलिए मूल्य स्थिरता के बीच घरेलू स्तर पर विकास पर ध्यान देना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इसे देखते हुए, आज के फैसले को विकास को नए रास्ते पर ले जाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।”
अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने की चुनौती
हर दो महीने के अंतराल के बाद होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने इसके फैसलों का एलान किया। उन्होंने बताया कि पूंजी प्रवाह और विनिमय दरों में बढ़ती अस्थिरता के बीच, उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों के पास वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ अपनी अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर रखने कठिन जिम्मेदारी है।
हमारी अर्थ व्यवस्था मजबूत व स्थिर
उन्होंने कहा, “इस वैश्विक परिवेश में, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करती है… बुनियादी बातों का यह मैट्रिक्स भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रभावों से बचाने और इसे तेज गति से बढ़ने के लिए आवश्यक ताकत प्रदान करता है।” मल्होत्रा ने विस्तार से बताते हुए कहा कि ताकत मजबूत बैलेंस शीट से आती है। इसके अलावा, तीनों मोर्चों – महंगाई, वित्तीय हालात और राजनीतिक परिदृश्य स्थिर हैं। लगातार बदल रहे वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में नीतिगत और आर्थिक स्थिरता प्रदान करते हैं।
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