सीडीएस अनिल चौहान का बड़ा खुलासा: ‘ऑपरेशन जो उन्हें लगा कि 48 घंटे चलेगा, 8 घंटे में खत्म हुआ, फिर उन्होंने फोन लगाया और कहा बात करना चाहते हैं…’
- दिल्ली राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- June 3, 2025
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नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पीछे के कारणों पर बात करते हुए कहा कि पहलगाम में जो हुआ, वह घोर क्रूरता थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पीछे सोच यह थी कि पाकिस्तान से राज्य प्रायोजित आतंकवाद को रोका जाए। उसे भारत को आतंकवादी गतिविधियों का बंधक नहीं बनाना चाहिए। भारत अब आतंकवाद और परमाणु ब्लैकमेल की छाया में नहीं रहने वाला। उन्होंने फिर दोहराया कि पेशेवर सैन्य बलों पर असफलताओं और नुकसानों का कोई असर नहीं होता। नुकसान महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि परिणाम महत्वपूर्ण हैं।
‘संघर्ष का प्रारंभिक बिंदु पहलगाम आतंकी हमला था’
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि इस संघर्ष का प्रारंभिक बिंदु पहलगाम आतंकी हमला था। क्या आतंकवाद युद्ध का एक तर्कसंगत तरीका है? मुझे नहीं लगता कि ऐसा है, क्योंकि आतंकवाद का कोई परिभाषित तर्क नहीं है। जहां तक हमारे विरोधी का सवाल है तो उसने भारत को हजारों घाव देकर खून बहाने का फैसला किया है। 1965 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ एक हजार साल के युद्ध की घोषणा की थी।
‘असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ जहर उगला था’
सीडीएस जनरल चौहान ने युद्ध के अलग-अलग तरीकों पर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में युद्ध और राजनीति समानांतर रूप से हो रही थी। पहलगाम में जो कुछ हुआ, उससे कुछ सप्ताह पहले ही पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला था। हमने सीमा बढ़ा दी है, आतंक को पानी से जोड़ दिया है, आतंक के खिलाफ सैन्य अभियान की नई रेखा खींची है।
‘ऑपरेशन जो उन्हें लगा कि 48 घंटे चलेगा, 8 घंटे में ही खत्म हुआ’
सीडीएस ने कहा कि 10 मई को रात करीब एक बजे उनका (पाकिस्तान का) लक्ष्य 48 घंटे में भारत को घुटने टेकने पर मजबूर करना था। कई हमले किए गए और उन्होंने इस संघर्ष को और बढ़ा दिया। हमने तो सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। ऑपरेशन जो उन्हें लगा कि 48 घंटे तक चलेगा, लगभग 8 घंटे में ही खत्म हो गया और फिर उन्होंने फोन उठाया और कहा कि वे बात करना चाहते हैं।’
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि इस संघर्ष का प्रारंभिक बिंदु पहलगाम आतंकी हमला था। क्या आतंकवाद युद्ध का एक तर्कसंगत तरीका है? मुझे नहीं लगता कि ऐसा है, क्योंकि आतंकवाद का कोई परिभाषित तर्क नहीं है। जहां तक हमारे विरोधी का सवाल है तो उसने भारत को हजारों घाव देकर खून बहाने का फैसला किया है। 1965 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ एक हजार साल के युद्ध की घोषणा की थी।
‘असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ जहर उगला था’
सीडीएस जनरल चौहान ने युद्ध के अलग-अलग तरीकों पर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में युद्ध और राजनीति समानांतर रूप से हो रही थी। पहलगाम में जो कुछ हुआ, उससे कुछ सप्ताह पहले ही पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला था। हमने सीमा बढ़ा दी है, आतंक को पानी से जोड़ दिया है, आतंक के खिलाफ सैन्य अभियान की नई रेखा खींची है।
‘ऑपरेशन जो उन्हें लगा कि 48 घंटे चलेगा, 8 घंटे में ही खत्म हुआ’
सीडीएस ने कहा कि 10 मई को रात करीब एक बजे उनका (पाकिस्तान का) लक्ष्य 48 घंटे में भारत को घुटने टेकने पर मजबूर करना था। कई हमले किए गए और उन्होंने इस संघर्ष को और बढ़ा दिया। हमने तो सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। ऑपरेशन जो उन्हें लगा कि 48 घंटे तक चलेगा, लगभग 8 घंटे में ही खत्म हो गया और फिर उन्होंने फोन उठाया और कहा कि वे बात करना चाहते हैं।’