रेलवे टेंडर घोटाला मामले में फैसला 23 जुलाई को, लालू और उनके परिवार का होगा फैसला

 रेलवे टेंडर घोटाला मामले में फैसला 23 जुलाई को, लालू और उनके परिवार का होगा फैसला
नई दिल्ली। रेलवे टेंडर घोटाला मामले में फैसला 23 जुलाई को होगा। लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के अन्‍य सदस्‍यों के खिलाफ इस मामले में मुकदमा आगे चलेगा या फिर उन्‍हें राहत मिलेगी, 23 जुलाई 2025 को राउज एवेन्‍यू कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाएगा। बता दें कि इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। जांच एजेंसी ने सालों तक इस मामले की जांच करने के बाद इस मामले में कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला मामले में सीबीआई का पक्ष जानने के बाद अब कोर्ट ने लालू यादव और उनके परिवार के अन्‍य सदस्‍यों पर चार्ज फ्रेम करने पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
लालू परिवार से जुड़े आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्‍ली की राउज एवेन्‍यू कोर्ट ने घोटाले के आरोपियों लालू प्रसाद यादव, तेजस्‍वी यादव, राबड़ी देवी और अन्‍य के खिलाफ अब 23 जुलाई को चार्ज फ्रेम करेगा। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोप तय करने पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। ऐसे में 23 जुलाई का दिन लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। सीबीआई द्वारा दर्ज रेलवे टेंडर घोटाला से जुड़े मामले में उस दिन कोर्ट बड़ा फैसला सुनाया जा सकता है। साल 2004 से 2014 के बीच IRCTC में कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में लालू यादव समेत अन्‍य को आरोपी बनाया गया है।
जानिए क्या है रेलवे टेंडर घोटाला
साल 2006 में जब लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे तब IRCTC ने होटलों के संचालन, रखरखाव और विकास के लिए टेंडर जारी किया था। आरोप है कि यह टेंडर प्रक्रिया जानबूझकर एक विशेष कंपनी (सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड) को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार की गई थी। इस कंपनी की मालकिन सरला गुप्ता थीं, जो लालू यादव के करीबी सहयोगी और तत्कालीन राज्यसभा सांसद प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी हैं। सीबीआई की जांच के अनुसार, इस टेंडर प्रक्रिया में तकनीकी मूल्यांकन के दौरान अन्य बोलीदाताओं को जानबूझकर कम अंक दिए गए। जिससे सुजाता होटल्स एकमात्र योग्य बोलीदाता बन गई और उसे कॉन्‍ट्रैक्‍ट दे दिया गया। आरोप है कि इस कॉन्‍ट्रैक्‍ट के बदले में पटना में लालू परिवार को जमीन दी गई थी। इसे बेनामी तरीके से ट्रांसफर किया गया था।