अस्पताल के सीवर में पाए गए घातक जीवाणु एंटरोकॉकस, चिकित्सा जगत में इलाज मुश्किल नई दिल्ली।
- दिल्ली स्वास्थ्य
Political Trust
- May 24, 2025
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अस्पताल के सीवर में घातक जीवाणु पाए गए हैं। इनकी पहचान घातक एंटरोकॉकस फेसियम जीवाणु के रूप में हुई है। यह एंटीबायोटिक प्रतिरोधी होने से चिकित्सा में इसका इलाज भी काफी मुश्किल होता है। केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और फरीदाबाद स्थित ब्रिक-टीएचएसटीआई के शोधकर्ताओं ने अस्पताल के नजदीकी सीवर से नमूने लेकर जीनोम सीक्वेंसिंग की, जिसमें एंटरोकॉकस फेसियम नामक बैक्टीरिया का संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण किया। इस दौरान पता चला कि यह जीवाणु कई तरह के एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी है।
उदाहरण के तौर पर अमीनो ग्लाइकोसाइड जीवाणुरोधी दवाओं की एक श्रेणी है, जिसका आमतौर पर गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में उपयोग होता है। इसी तरह पेनिसिलिन, सेफालोस्पोरिन, एरिथ्रोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन नामक दवाएं हैं उन्हें अलग-अलग तरह के संक्रमण में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ये दवाएं मरीजों में प्रतिरोध भी पैदा करती हैं जिसके चलते घातक जीवाणु विकसित होने लगते हैं।
दरअसल भारत सहित पूरी दुनिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक वैश्विक समस्या है। जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की 2024 में जारी रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 2019 में ही एंटीबायोटिक प्रतिरोध से 2.97 लाख मरीजों की मौतें हुई।
शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटरोकॉकस फेसियम एक ऐसा जीवाणु है जो आमतौर पर अस्पतालों में पाया जाता है और यह गंभीर संक्रमण जैसे मूत्र मार्ग, हृदय संक्रमण और रक्त प्रवाह संक्रमण का कारण बन सकता है। इसके एंटीबायोटिक प्रतिरोधी होने के कारण इसका इलाज मुश्किल होता है। यह बैक्टीरिया अपशिष्ट जल के माध्यम से पर्यावरण में फैल सकता है और वहां से समुदायों और अस्पतालों में पहुंच सकता है। इसीलिए इसकी निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
दरअसल भारत सहित पूरी दुनिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक वैश्विक समस्या है। जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की 2024 में जारी रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 2019 में ही एंटीबायोटिक प्रतिरोध से 2.97 लाख मरीजों की मौतें हुई।
शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटरोकॉकस फेसियम एक ऐसा जीवाणु है जो आमतौर पर अस्पतालों में पाया जाता है और यह गंभीर संक्रमण जैसे मूत्र मार्ग, हृदय संक्रमण और रक्त प्रवाह संक्रमण का कारण बन सकता है। इसके एंटीबायोटिक प्रतिरोधी होने के कारण इसका इलाज मुश्किल होता है। यह बैक्टीरिया अपशिष्ट जल के माध्यम से पर्यावरण में फैल सकता है और वहां से समुदायों और अस्पतालों में पहुंच सकता है। इसीलिए इसकी निगरानी करना महत्वपूर्ण है।