योगी सरकार हुई सख्त!
- उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय
Political Trust
- May 24, 2025
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हड़ताल करने वाले बिजली कर्मचारी बिना जांच सीधे बर्खास्त किए जाएंगे
लखनऊ। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी आंदोलन और हड़ताल की तैयारी में हैं। बताया जा रहा है कि बिजली कर्मचारी 29 मई से हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। ऐसे में योगी सरकार भी सख्त हो गई है। हड़ताल और आंदोलन करने वाले बिजली कर्मियों को बिना जांच के ही बर्खास्त किया जा सकेगा। नियुक्ति प्राधिकारी को बर्खास्तगी के साथ ही पद से हटाने, पदावनति करने का भी अधिकार दे दिया गया है। इसके लिए पावर कार्पोरेशन की कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2020 में संशोधन किया गया है।
पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण प्रस्ताव को लेकर बिजली कर्मियों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गई है। ऐसे में पावर कार्पोरेशन निदेशक मंडल की बृहस्पितवार को हुई बैठक में कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2020 में संशोधन कर दिया गया है। अब इसे पावर कार्पोरेशन कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) (पंचम संशोधन) विनियमावली 2025 नाम दिया गया है।
संशोधित विनियमावली में तर्क दिया गया है कि विद्युत व्यवस्था संचालन में बाधा पहुचाने, तोड़फोड़ अथवा आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में जांच के दौरान काफी वक्त बीत जाता है। ऐसे में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। यह भी तर्क दिया गया है कि दिसंबर 2022 में हुई हड़ताल एवं कार्य बहिष्कार के संबंध में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर ऊर्जा विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है। इसी तरह आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद भी हड़ताल पर जाने अथवा हड़ताल की स्थिति उत्पन्न करने, आधारभूत ढांचा प्रभावित करने, विद्युत संयंत्र को क्षति पहुचाने, अन्य कर्मियों को इसके लिए प्रेरित करने की स्थिति हो तो नियुक्ति प्राधिकारी संबंधित कार्मिक के खिलाफ फैसला ले सकता है। ऐसे में यदि कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2025 के नियम सात के तहत जांच करना संभव नहीं है तथा विद्युत आपूर्ति में व्यवधान की आशंका है तो वह संबंधित कार्मिकों को नियुक्ति प्राधिकारी बर्खास्त कर सकता है, सेवा समाप्त कर सकता है और पदावनति कर सकता है।
लखनऊ। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी आंदोलन और हड़ताल की तैयारी में हैं। बताया जा रहा है कि बिजली कर्मचारी 29 मई से हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। ऐसे में योगी सरकार भी सख्त हो गई है। हड़ताल और आंदोलन करने वाले बिजली कर्मियों को बिना जांच के ही बर्खास्त किया जा सकेगा। नियुक्ति प्राधिकारी को बर्खास्तगी के साथ ही पद से हटाने, पदावनति करने का भी अधिकार दे दिया गया है। इसके लिए पावर कार्पोरेशन की कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2020 में संशोधन किया गया है।
पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण प्रस्ताव को लेकर बिजली कर्मियों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गई है। ऐसे में पावर कार्पोरेशन निदेशक मंडल की बृहस्पितवार को हुई बैठक में कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2020 में संशोधन कर दिया गया है। अब इसे पावर कार्पोरेशन कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) (पंचम संशोधन) विनियमावली 2025 नाम दिया गया है।
संशोधित विनियमावली में तर्क दिया गया है कि विद्युत व्यवस्था संचालन में बाधा पहुचाने, तोड़फोड़ अथवा आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में जांच के दौरान काफी वक्त बीत जाता है। ऐसे में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। यह भी तर्क दिया गया है कि दिसंबर 2022 में हुई हड़ताल एवं कार्य बहिष्कार के संबंध में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर ऊर्जा विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है। इसी तरह आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद भी हड़ताल पर जाने अथवा हड़ताल की स्थिति उत्पन्न करने, आधारभूत ढांचा प्रभावित करने, विद्युत संयंत्र को क्षति पहुचाने, अन्य कर्मियों को इसके लिए प्रेरित करने की स्थिति हो तो नियुक्ति प्राधिकारी संबंधित कार्मिक के खिलाफ फैसला ले सकता है। ऐसे में यदि कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2025 के नियम सात के तहत जांच करना संभव नहीं है तथा विद्युत आपूर्ति में व्यवधान की आशंका है तो वह संबंधित कार्मिकों को नियुक्ति प्राधिकारी बर्खास्त कर सकता है, सेवा समाप्त कर सकता है और पदावनति कर सकता है।