डिजियात्रा ऐप ने दी भारत की डिजिटल उड़ान को नई पहचान नई

 डिजियात्रा ऐप ने दी भारत की डिजिटल उड़ान को नई पहचान नई
 दिल्ली। विश्व और देश में डिजियात्रा ऐप ने भारत की डिजिटल उड़ान को एक नई पहचान दी है। डिजिटल पहचान, निर्बाध आवागमन और नागरिक केंद्रित सेवाएं उपलब्ध कराने के इस दौर में ‘डिजियात्रा’ प्रणाली भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) में एक बेहतरीन नवाचार के रूप में सामने आई है। यह न केवल संपर्क रहित बोर्डिंग पास प्रणाली (कॉन्टैक्टलेस बोर्डिंग सिस्टम) है बल्कि दुनिया का पहला राष्ट्रीय डिजिटल यात्री पहचान प्लेटफॉर्म भी है। इसका विकास हवाई अड्डों पर सुरक्षित, अनुमति आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए किया गया है। डिजियात्रा प्रणाली नियामकीय स्पष्टता, संस्थागत ढांचा और सार्वजनिक-निजी क्रियान्वयन को एक साथ लाकर बड़े बदलाव लाने वाले ढांचे तैयार करने की भारत की अनोखी क्षमता को परिलक्षित करती है।
डिजियात्रा ऐप की शुरुआत की दिशा में 2018  और 2019  के बीच कदम बढ़ाया गया था। उस दौर में डिजियात्रा को व्यवहार्य बनाने और भविष्य में इसके वृहद स्तर पर इस्तेमाल के लिए जरूरी नियामकीय एवं तकनीकी ढांचा विकसित किया था। हवाई अड्डों पर बिना किसी झमेले के पहचान सत्यापित करने के लिए सुरक्षित तरीके से यात्रियों के हवाई यात्रा विवरण (फ्लाइट बुकिंग इन्फॉर्मेशन) तक पहुंच की जरूरत होगी। इसे ध्यान में रखते हुए एक प्रावधान किया गया जिसके तहत हवाई अड्डा संचालकों को यात्रियों की सहमति लेकर उनके पैसेंजर नेम रिकॉर्ड (पीएनआर) हासिल करने की अनुमति दी गई। यह संस्थागत नीति के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता थी। इसके हवाई अड्डा संचालकों को यात्री की सहमति से यात्री नाम रिकॉर्ड (पीएनआर) डेटा तक पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाया गया इससे सूचनाओं तक पहुंच आसान हो गई जिसके अभाव में पहले संचालन क्षमता सीमित हुआ करती थी।
इसके बाद जो संस्थागत ढांचा तैयार किया वह भी उतना ही महत्त्वपूर्ण था। किसी कमर्शियल वेंडर या सरकारी इकाई को प्रणाली का पूर्ण नियंत्रण देने के बजाय हमने डिजियात्रा फाउंडेशन की शुरुआत की। इसे धारा 8 के अंतर्गत गैर-लाभकारी संस्था का दर्जा दिया गया जिस पर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, जीएमआर, अदाणी और बेंगलूरु इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड सहित देश के बड़े हवाई अड्डों का संयुक्त स्वामित्व है। नागर विमानन मंत्रालय इस पर निगरानी रखता है।