भारत में अमेरिका से पैसा भेजने पर अब लगेगा टैक्स, ट्रंप के नए बिल ने बढाई धड़कन
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- May 17, 2025
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नई दिल्ली। अमेरिका ने प्रवासी नागरिकों के बाहर धन भेजने के पांच प्रतिशत ‘उत्पाद शुल्क’ लगाया है। इससे भारतीय प्रवासियों, नीति निर्माताओं और कर विशेषज्ञों की धड़कन बढ़ी है। राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ‘द वन, बिग, ब्यूटीफुल बिल’ में यह प्रस्ताव शामिल है। यह विधेयक अगर पारित हो जाता है तो अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जो अपने परिवारों को या भारत में निवेश करने के लिए धन भेजते हैं।
विधेयक में प्रवासी नागरिकों द्वारा किए गए सभी सीमा पार धनप्रेषण पर कर लगाने का प्रस्ताव है, जिसमें एच-1बी, एल-1, और एफ-1 वीजा धारकों के साथ ग्रीन कार्ड धारक शामिल हैं। अमेरिकी नागरिकों और वहां के मूल निवासियों को इससे छूट दी गई है। प्रावधान के अनुसार धन प्रेषण करने वालों से यह कर वसूला जाएगा और हर तिमाही ट्रेजरी सचिव को कर भुगतान करने की जिम्मेदारी उनकी होगी। अमेरिका से धनप्रेषण से मिलने वाले धन का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत है। वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका रहने वाले नागरिकों ने 32.9 अरब डॉलर भारत भेजे थे। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में धनप्रेषण से आने वाले कुल धन में अमेरिका से आने वाले धन की हिस्सेदारी 27.7 प्रतिशत है। प्रवासियों के धनप्रेषण से विश्व में सबसे ज्यादा धन भारत में आता है, जो 2010-11 के 55.6 अरब डॉलर से दोगुने से ज्यादा बढ़कर 2023-24 में 118.7 अरब डॉलर हो गया है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व सदस्य अखिलेश रंजन ने कहा कि यह आय पर कर नहीं है, इसलिए यह दोनों देशों के बीच हुए दोहरे कराधान से बचाव समझौते के दायरे में नहीं आ सकता है, जिससे गैर अमेरिकी नागरिकों को टैक्स क्रेडिट से वंचित किया जा सकेगा। इस 5 प्रतिशत धनप्रेषण शुल्क से विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आ सकती है।’ भारत सरकार के अधिकारी इस मसले पर सतर्क रुख अपना रहे हैं। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह सिर्फ प्रस्ताव है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व सदस्य अखिलेश रंजन ने कहा कि यह आय पर कर नहीं है, इसलिए यह दोनों देशों के बीच हुए दोहरे कराधान से बचाव समझौते के दायरे में नहीं आ सकता है, जिससे गैर अमेरिकी नागरिकों को टैक्स क्रेडिट से वंचित किया जा सकेगा। इस 5 प्रतिशत धनप्रेषण शुल्क से विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आ सकती है।’ भारत सरकार के अधिकारी इस मसले पर सतर्क रुख अपना रहे हैं। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह सिर्फ प्रस्ताव है।