भारत के ‘खिलौनों’ से खेलेेगे अमेरिकी बच्चे, चीन को झटका

 भारत के ‘खिलौनों’ से खेलेेगे अमेरिकी बच्चे, चीन को झटका

Political Trust Magazine
नई दिल्ली। अब जब चीन अमरीका के साथ टैरिफ वार में उलझा है तो भारतीय खिलौना उद्योग के लिए एक और राह खुली है। खिलौना उद्योग के वैश्विक खेल में भारत आहिस्ता-आहिस्ता खिलाड़ी नंबर-1 बनने की राह पर चल पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अपील और भारतीयों खिलौना व्यापारियों की इच्छाशक्ति ने ऐसा रंग दिखाया कि आज हम आयात से ज्यादा निर्यात कर रहे हैं।
2003 में वैश्विक खिलौना निर्यात में चीन की हिस्सेदारी माइनस चार प्रतिशत थी, लेकिन इस पड़ोसी मुल्क ने अप्रत्याशित रूप से वृद्धि की और अब विश्व के कुल खिलौना निर्यात में इसकी हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अब जब चीन अमरीका के साथ टैरिफ वार में उलझा है तो भारतीय खिलौना उद्योग के लिए एक और राह खुली है। भारत खिलौना उत्पादन और निर्यात पर ज्यादा जोर दे रहा है। भारतीय खिलौनों की गुणवत्ता सुधरी है वहीं राज्यों के खास खिलौनों को जीआई टैग देने से भी बढ़ावा मिला है।
एक अनुमान के अनुसार मौजूदा वैश्विक खिलौना और गेमिंग उद्योग का बाजार का 114.4 बिलियन डॉलर का है। जो 6% वार्षिक वृद्धि के साथ 2034 तक 203.1 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत का खिलौना उद्योग फिलहाल 1.7 बिलियन डॉलर का है, और वैश्विक खिलौना निर्यात में भारतीय खिलौनाें की हिस्सेदारी करीब 0.3 प्रतिशत ही है। ट्रंप टैरिफ के चलते सबसे बड़े खिलौना आयातक अमरीका में चीनी खिलौनों की एंट्री मुश्किल होने की दशा में भारत के पास विकल्प बनने का बड़ा मौका है।
सरकार के इन फैसलों से उम्मीद
-नेशनल टॉय एक्शन प्लान और स्कीम ऑफ फंड्स फॉर रीजेनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज (स्फूर्ति) जैसी पहलों से खिलौना उद्याेग को बढ़ावा।
-भारतीय खिलौना उद्योग को वैश्विक स्तर का बनाने के लिए शोध और विकास पर जोर।
-नई शिक्षा नीति में खिलौना उद्योग का शिक्षाजगत का अहम अंग बनाया।
-टॉय स्पेसिफिक क्लस्टर, जिला निर्यात हब की स्थापना
-5000 खिलौना निर्माता एमएसएमई को बढ़ाने पर जोर।