अलगाववाद पर बड़ी चोट: हुर्रियत से जुड़े संगठन ने थामा भारत का दामन, अमित शाह ने कहा – ये ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की जीत है

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की कमर तोड़ने की दिशा में एक और ऐतिहासिक पड़ाव पार करते हुए, हुर्रियत से जुड़ा संगठन ‘जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट’ ने भारत की एकता के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए अलगाववाद को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। यह कदम मोदी सरकार की कश्मीर नीति और “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के मंत्र की एक और निर्णायक सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
इस निर्णय का केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने गर्मजोशी से स्वागत किया है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के दृष्टिकोण की ऐतिहासिक जीत बताया।
🗣️ अमित शाह का बयान: अलगाववाद की राजनीति को जनता ने किया खारिज
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किए गए अपने आधिकारिक पोस्ट में श्री अमित शाह ने लिखा:
“मोदी सरकार के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर एकता की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। हुर्रियत से जुड़े संगठन जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट ने भारत की एकता के प्रति निष्ठा व्यक्त करते हुए अलगाववाद को त्याग दिया है। मैं इस ऐतिहासिक निर्णय का हार्दिक स्वागत करता हूं।”
उन्होंने आगे बताया कि अब तक हुर्रियत से जुड़े 12 संगठनों ने अलगाववाद से नाता तोड़ते हुए भारतीय संविधान में आस्था जताई है, जो यह दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर की जनता अब शांति, विकास और अखंडता के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहती है।
📌 अलगाववाद से राष्ट्रीय एकता की ओर – नया कश्मीर
यह घटनाक्रम ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को विकास, रोजगार, शिक्षा और निवेश का केंद्र बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद की जड़ें लगातार कमजोर पड़ी हैं, और स्थानीय लोगों में भारत की मुख्यधारा से जुड़ने की नई चेतना जागृत हुई है।
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की विचारधारा को मिल रहा जनसमर्थन
यह बदलाव न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन का भी संकेत है। दशकों से अलगाववादी विचारधारा के प्रभाव में रहे संगठनों का अब भारत की एकता के प्रति प्रतिबद्ध होना यह स्पष्ट करता है कि मोदी सरकार की नीति “विकास के साथ विश्वास” रंग ला रही है।
💬 राष्ट्रीय हित में ऐतिहासिक निर्णय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम शांति बहाली और स्थायी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल सुरक्षा एजेंसियों को राहत मिलेगी, बल्कि घाटी में युवा पीढ़ी को एक सकारात्मक भविष्य की ओर मोड़ने में भी मदद मिलेगी।