विदेशों तक पहुंचा त्रिवेणी संगम का पावन जल, जर्मनी और महाराष्ट्र से बढ़ी मांग
- उत्तर प्रदेश राज्य
Political Trust
- April 4, 2025
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विदेशों तक पहुंचा त्रिवेणी संगम का पावन जल, जर्मनी और महाराष्ट्र से बढ़ी मांग
प्रयागराज, 04 अप्रैल। महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम में करोड़ों श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई, लेकिन जो भक्त किसी कारणवश इस पावन अवसर पर उपस्थित नहीं हो सके, उनके लिए अब त्रिवेणी का पवित्र जल देश-विदेश तक पहुंचाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी 75 जिलों में यह जल पहले ही वितरित किया जा चुका है, और अब विदेशों से भी इसकी मांग बढ़ने लगी है।
प्रयागराज के एनआरएलएम उपायुक्त राजीव कुमार सिंह के अनुसार, जसरा की नारी शक्ति महिला प्रेरणा संकुल स्तरीय समिति की ओर से त्रिवेणी का पवित्र गंगा जल विदेशों में भेजने का कार्य किया जा रहा है। हाल ही में कांच की 1000 बोतलें जर्मनी भेजी गईं, जो श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी के माध्यम से वहां पहुंचाई गईं। यह जल उन श्रद्धालुओं के लिए भेजा गया है, जो किसी कारणवश महाकुंभ में शामिल नहीं हो सके।

महाराष्ट्र से मिला 50 हजार बोतलों का ऑर्डर
महाकुंभ के दौरान ही महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर त्रिवेणी के गंगा जल की पैकेजिंग शुरू कर दी गई थी। नमिता सिंह, जो जसरा की नारी शक्ति महिला प्रेरणा संकुल समिति की प्रभारी हैं, बताती हैं कि अब तक 50 हजार से अधिक बोतलें देशभर में भेजी जा चुकी हैं। हाल ही में नागपुर के शिव शंभू ग्रुप सोसायटी को 500 एमएल की 50 हजार बोतलें त्रिवेणी जल की भेजी गईं। वहीं, जर्मनी में भेजा गया गंगा जल 250 एमएल की बोतलों में था।
असम तक पहुंचा त्रिवेणी का जल
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में गंगा जल पहले ही वितरित किया जा चुका है। इसके अलावा, हाल ही में असम से निजी टैंकर लेकर परम शिवम शिव मंदिर योगाश्रम, गुवाहाटी के संत राजा रामदास त्रिवेणी संगम पहुंचे थे। सीएफओ प्रमोद शर्मा ने बताया कि संत राजा रामदास जी ने अपने टैंकर में त्रिवेणी का जल भरवाने के लिए अग्नि शमन विभाग का सहयोग मांगा था, जिसे विभाग ने पूरा किया और टैंकर को असम के लिए रवाना कर दिया गया।
त्रिवेणी जल की बढ़ती लोकप्रियता
त्रिवेणी संगम का पावन जल अब देश की सीमाओं को पार कर विदेशों तक श्रद्धालुओं तक पहुंच रहा है। यह न केवल भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर रहा है, बल्कि श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आस्था से जोड़े रखने में भी अहम भूमिका निभा रहा है।