भारत की सनातन गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित संगीत नाटक अकादमी की प्रशिक्षण परियोजना के गुरुओं का हुआ सम्मान

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। संगीत नाटक अकादमी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 13 दिसंबर की सांय मंडी हाउस स्थित मेघदूत सभागृह में आयोजित कला दीक्षा भारत की सनातन गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित अकादमी की प्रशिक्षण परियोजना के अंतर्गत देश के विभिन्न राज्यों के 75 गुरुओं को विलुप्ति की कगार पर खड़े पारंपरिक गीत-संगीत, गायन, वाद्ययन्त्र निर्माण, मास्क निर्माण इत्यादि इत्यादि विधाओं के संरक्षण व संवर्धन पर किए जा रहे कार्यो हेतु मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी के कर कमलों शाल ओढा कर, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह के इस अवसर पर अन्य मंचासीनों में अकादमी अध्यक्षा डाॅ संध्या पुरेचा, संयुक्त सचिव संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार उमा नंदूरी की उपस्थिति मुख्य रही
सम्मान समारोह का श्रीगणेश मुख्य अतिथि के कर कमलों दीप प्रज्ज्वलित कर तथा अकादमी अध्यक्षा द्वारा मुख्य अतिथि व संयुक्त सचिव संस्कृति मंत्रालय उमा नंदूरी का शाल ओढा कर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत अभिनंदन किया गया। मुख्य अतिथि द्वारा गुरु शिष्य परंपरा सम्मान समारोह की शुरुआत नगाडा बजाकर किया गया। अकादमी द्वारा कला की विभिन्न विधाओं व अकादमी द्वारा संचालित केन्द्रों की गतिविधियों पर निर्मित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी इस अवसर पर किया गया।
आयोजन के इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी अध्यक्षा डाॅ संध्या पुरेचा द्वारा मुख्य अतिथि व उमा नंदूरी के साथ-साथ सम्मानित होने जा रहे सभी कला गुरुओं, उपस्थित अन्य कलाकारों व उपस्थित जनों का स्वागत अभिनंदन कर व्यक्त किया गया, किसी भी कला का संवर्धन का कार्य तभी संभव हो सकता है जब वह कला एक पीढी से दूसरी पीढी में परंपरागत रूप में स्थांतरित होती रहे। ऐसा न होने पर उक्त कला समाप्त हो जाती है। इसी परंपरा को कायम रखने के लिए गुरुओं को महत्व दिया जाता है। कला के संवर्धन में कला घरानों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
डाॅ संध्या पुरेचा द्वारा कहा गया, कला हमारी विरासत है, इसको संजोने में किसने काम किया है इसी सोच पर आज का सम्मान समारोह आयोजित कर 75 गुरुओं को सम्मानित किया जा रहा है। अपनी विरासत को बचाने वाले गुरुओं को हमें सम्मान देना चाहिए। विलुप्त हो रही कलाओं को इकठ्ठा करके नया आयाम देना तथा नई कोशिश विलुप्त होती कलाओं को पुन: स्थापित करना अकादमी का मुख्य उद्देश्य है। कला से विश्व को आलोकित करने वाले व विलुप्त होती कलाओं के गुरुओं को सम्मान व चयन कर उन्हें आज आज सम्मानित किया जा रहा है। अवगत कराया गया, देश के मास्क निर्माण करने वाले कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए उनके द्वारा निर्मित किए गए पंद्रह हजार मास्कों को अकादमी द्वारा खरीद कर काम में लाया गया तथा अकादमी द्वारा आयोजित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमो के बावत भी उन्होंने अवगत कराया।
संयुक्त सचिव संस्कृति मंत्रालय उमा नंदूरी तथा मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति मंत्री जे किशन रेड्डी द्वारा कहा गया, मंत्रालय द्वारा कलाकारों के हित में बहुत से कार्य किए जा रहे हैं। एक पीढी से दूसरी पीढी तक कला बढ़ रही है। सम्मान समारोह आयोजित करने का उद्देश्य है, विरासत के प्रति गर्व की भावना जगाने का प्रयास। इसके तहत गुरुओं का सम्मान करने का प्रयास किया गया है। अकादमी की योजना गुरुओं को सम्मान देने की व संरक्षण देने की है। कला विशेष से जो इच्छा रखते हैं उन्हें सहायता प्रदान की जायेगी। अकादमी द्वारा तीस से अधिक केंद्रों पर कला शिक्षा प्रशिक्षण का कार्य किया जा रहा है। सौ से ज्यादा कलाओं को जीवित करने का प्रयास किया है। हजार गुरुओं को फ़ायदा आज से मिलने जा रहा है। कला नहीं बचाई तो समाप्त हो जायेगी। कला का संवर्धन करना आने वाली पीढी के लिए करना जरूरी है। लुप्त हो रही कला को बचाने का प्रयास है। बचाना ही नहीं आगे की पीढी तक ले जाना जरूरी है। संगीत, नृत्य, नाटक को मंच प्रदान करने तथा कलाकारों में भरोसा जगाना अकादमी का उद्देश्य है। कला हम सबके समाज का गौरव है। समाज भी मिल कर कला के संवर्धन के लिए कार्य करे। कलाकारों का प्रयास सफल होगा। कला जीवित रहेगी। सरकार इस पर कार्य कर रही है।
संगीत नाटक अकादमी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सम्मानित होने वाले 75 कला गुरुओं में कई कलाकार संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त भी थे। उत्तराखंड के सम्मानित होने वाले तीन कला गुरुओं में पिथौरागढ, मुनस्यारी के लवराज सिंह, अल्मोडा, लमगढ़ा शहरफाटक की पुष्पा फर्त्याल व चमोली, थराली काकडागुल की गंगा देवी राणा मुख्य रहे।
आयोजन के इस अवसर पर कई राज्यों के लोकगीत, संगीत, नृत्यों व मुखोटा नृत्यों का प्रभावशाली मंचन किया गया। सम्मान समारोह का प्रभावशाली मंच संचालन जैनेंद्र सिंह द्वारा किया गया।