प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने कवयित्री रेणु हुसैन की कविता संग्रह ‘घर की औरतें और चाँद’ का किया लोकार्पण

’कामकाजी और घरेलु स्त्रियों की संवेदनाओं को गहराई और संजीदगी से उकेरती हैं रेणु की कविताएं’
देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने गंभीर और संजीदा काव्य लेखन में तेजी से उभरीं कवयित्री रेणु हुसैन की काव्ह संग्रह ‘घर की औरतें और चाँद’ का लोकार्पण किया और नवोदित कवयित्री रेणु हुसैन की जबरदस्त हौसलाअफज़ाई की। साहित्य अकादमी के रवींद्र भवन में हुए कार्यक्रम में काव्ह संग्रह ‘घर की औरतें और चाँद’ के लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार लीलाधर मंडलोई ने की और मुख्य अतिथि रहे वरिष्ठ साहित्कार लक्ष्मी शंकर वाजपेयी। काव्ह संग्रह ‘घर की औरतें और चाँद’ के लोकार्पण और चर्चा कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर साहित्य जगत की नामचीन हस्तियां सुमन केशरी, अनिल शर्मा जोशी, संदीप अवस्थी और नरेश शांडिल्य भी शामिल हुए और रेणु हुसैन की काव्य संग्रह पर विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत कवियित्री रेणु हुसैन के द्वारा उनकी काव्य संग्रह ‘घर की औरतें और चाँद’ में छपी चुनिंदा कविताओं के पाठ से हुआ। उनके कविता संग्रह की शीर्ष कविता ‘घर की औरतें और चाँद’ में घरेलु और कामकाजी महिलाओं की संवेदनाओं को संजीदगी से छूने की कोशिश हुई जिसे तमाम श्रोताओं ने सराहा। कविता संग्रह की अन्य कविताओं ने भी श्रोताओं और चर्चा में शामिल हुए प्रतिष्ठित साहित्यकारों, लेखक, कवियों के अंतर्मन को छुआ और उन्होंने भूरी भूरी शब्दों में रेणु हुसैन की कविताओं की सराहना की।
पंजाब से आए सुप्रिद्ध साहित्यकार नरेश शांडिल्य ने कहा कि रेणु हुसैन की कविताएं विकल होकर लिखी गई हैं और इसीलिए ये इतनी गहरी और संवेदनशील हैं कि पाठकों और श्रोताओं को विकल करती हैं।
कवि, लेखक, साहित्यकार संदीप अवस्थी ने भी काव्य संग्रह ‘घर की औरतें और चाँद’ में छपी कविताओं की सुंदर व्याख्या की । उन्होंने कहा कि कविता संग्रह को उन्होंने दो बार पढ़ा है, ये सिर्फ प्रेम कविताएं नहीं हैं, बल्कि आधी आबादी यानी स्त्रियों के व्यापक सपनों और संघर्ष की कविताएं हैं। हर लड़की, स्त्री जो सपने देखती हैं और उसे हासिल करने में अपनी जिंदगी खपा देती हैं, कई बार उनके घरौंदे बनते हैं और कई बार टूट जाते हैं। ये स्त्रियों के व्यापक अनुभवों का प्रतिबिंब प्रस्तुत करने वाली कविताएं हैं। इस प्रेम में सिर्फ मिलन नहीं, बल्कि मिलन, वियोग, राग, मुक्ति सब कुछ है।
लेखिका सुमन केशरी ने कहा कि रेणु हुसैन की कविताएं गहरी वेदनाओं को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि रेणु की पंक्तियों के बिम्ब को समझने की जरुरत है।
सुप्रसिद्ध लेखक, कवि और केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने सबसे पहले रेणु हुसैन की कविता संग्रह के बैक कवर पर छपी कविता – ‘तुमसे बहुत कुछ कहना था’ के जिक्र से चर्चा शुरु की। उन्होंने कहा कि कविता संग्रह के शीर्षक में मौजूद शब्द – घर, औरतें और चांद – तीनों शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि सबसे सुंदर कविताएं चांद के संदर्भ से ही लिखी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति, बादल, पेड़, पहाड़, पत्ते, चांद ये सब अभिव्यक्त करने के बेहद खूबसूरत जरिया हैं और उन्हीं से बना है – घर की औरतें और चांद। अनिल जोशी ने कहा कि रेणु हुसैन की कविताएं रुमानी प्रेम नहीं बल्कि प्रेम से मुक्ति की ओर बढ़ने को अभिव्यक्त करती हैं।
कवि, लेखक, गजलकार, बाल लेखन के लिए सम्मानित, आकाशवाणी के पूर्व उपनिदेशक लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कहा कि मैं इनकी लेखन यात्रा और प्रतिभा का साक्षी रहा हूं। कैसे कविता, कहानी लेखन से होते हुए हायकु, दोहे, गजल लेखन में इनकी प्रतिभा सामने आई । इनके अंदर अद्भुत ऊर्जा है और इनकी लेखन के और भी बहुत से रुप अभी सामने आने बाकी हैं। उन्होंने कहा कि इसमें बहुत सी प्रेम कविताएं हैं और ऐसा प्रेम है जो बहुत व्यापक रुप पेश करता है। उन्होंने कहा कि रेणु हुसैन की कविताएं बहुआयामी हैं। उन्होंने कहा कि रेणु हुसैन की कविता संग्रह बहुत सी विशेषताएं लिए हुए बेहद मुल्यवान हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात कवि, लेखक, फिल्मकार, छायाचित्रकार लीलाधर मंडलोई ने कहा कि इनकी कविताओं के केंद्र में मुहब्बत है। उन्होंने कहा कि कविता संग्रह में घर की औरतें कही गई हैं लेकिन वो सिर्फ घर की ही नहीं हैं, बल्कि इनका दायरा व्यापक और विस्तृत है। उन्होंने कहा कि इनकी पंक्तियों में कई बार बहुत छोटी छोटी सी चीजों का जिक्र आता है जो सिर्फ औरतें ही समझ सकती हैं। लीलाधर मंडलोई ने रेणु हुसैन की कविता संग्रह ‘घर की औरतें और चाँद’ पर चर्चा करते हुए कहा कि जहां कुछ नहीं होता वहां भी प्रेम की स्मृतियां होती हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान में भी प्रेम की जरुरत होती है और ऐसे ही प्रेम का व्यापक संदर्भ रेणु की कविताओं में दृष्टिगत होता है। इनमें उभरती हुई जिंदगी है, टूटे हुए ख्वाब हैं, वेदना है, दर्द है। उन्होंने कहा कि रेणु की कविता संग्रह में दृश्यामकता है, और जो स्त्रियां बियावान में रहती हैं, उनके संसार का चित्रण है।
रेणु हुसैन की कविता संग्रह “घर की औरतें और चाँद” की लॉन्चिंग दिल्ली में “जश्न-ए-हिन्द” साक्षी संस्था द्वारा अयोजित किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तुति “जश्न-ए-हिन्द” की मृदुला सतीश टंडन ने किया।
नई दिल्ली में रवीन्द्र भवन के साहित्य एकेडमी सभागार में रेणु हुसैन द्वारा रचित काव्य संग्रह “घर की औरतें और चांद” का विमोचन 150 स्त्रियों से बात करके और उनकी बातों से प्रेरित होकर किया गया।
ये रेणु हुसैन की तीसरी किताब का विमोचन हुआ है। इसके पहले इनकी दो और काव्य संग्रह का लोकार्पण हो चुका है। इस अवसर पर रेणु हुसैन की माँ ने भी पहली बार उपस्थित होकर उऩ्हें अपना आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम का संयोजन प्रतिष्ठित कवि एवं मीडिया कर्मी ममता किरण ने किया।
इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन व कई अन्य कई देशों में भी किया गया।