भारत-ओमान के बीच आर्थिक संबंधों में नए युग की शुरूआत, भारतीय उत्पादों का रास्ता खुला
नई दिल्ली। भारत-ओमान के बीच ऐतिहासिक सीईपीए समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। यह डील भारतीय निर्यातकों, आयुष सेक्टर और पेशेवरों के लिए खाड़ी देशों में शुल्क माफी और 100 प्रतिशत FDI के साथ प्रगति के नए द्वार खोलेगी।
भारत और ओमान ने आज अपने आर्थिक संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की है। दोनों देशों के बीच गुरुवार को आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता न केवल भारतीय निर्यातकों के लिए भारी अवसर लेकर आया है, बल्कि 2006 में अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद ओमान की ओर से किसी भी देश के साथ किया गया यह पहला द्विपक्षीय व्यापार समझौता है।
व्यापारिक नजरिये से देखें तो वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है। ओमान में करीब सात लाख भारतीय रहते हैं, जो सालाना लगभग 2 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं। यह समझौता इन संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा।
समझौते से जुड़ी खास बातें
1. वस्तुओं का व्यापार: भारतीय उत्पादों की ‘ड्यूटी-फ्री’ एंट्री
इस समझौते के तहत ओमान ने भारत के 99.38% निर्यात (मूल्य के आधार पर) के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।
जीरो ड्यूटी एक्सेस: ओमान ने अपनी 98.08% टैरिफ लाइनों पर जीरो-ड्यूटी की पेशकश की है। इनमें से 97.96% टैरिफ लाइनों पर शुल्क तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाएगा।
प्रमुख क्षेत्रों जैसे रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, खेल का सामान, इंजीनियरिंग उत्पाद, फार्मा और ऑटो जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को पूर्ण शुल्क छूट मिलेगी।
पारंपरिक चिकित्सा यानी आयुष पर भी एफटीए में फैसला लिया गया। पहली बार किसी देश ने पारंपरिक चिकित्सा के सभी माध्यमों पर प्रतिबद्धता जताई है, जिससे भारत के आयुष और वेलनेस क्षेत्र के लिए वैश्विक अवसर पैदा होंगे।
