जीएसटी दरें घटने से महंगाई निचले स्तर पर; आर्थिक मजबूती का संकेत
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- November 28, 2025
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नई दिल्ली। जीएसटी दरों में कमी और खाद्य मुद्रास्फीति घटने से खर्च बढ़ा है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, कम महंगाई और मजबूत घरेलू मांग से भारतीय अर्थव्यवस्था जोखिमों से निपटने की स्थिति में और अधिक स्थिर हुई है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों के घटने और महंगाई के लगातार कम होने से खर्च को बढ़ावा मिला है। इससे घरेलू अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में जोखिमों से निपटने और विकास की गति बनाए रखने के लिए स्थिर स्थिति में है। वित्त मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार को जारी मासिक समीक्षा में कहा गया है कि कर सुधारों से निकट भविष्य में उपभोग का दृष्टिकोण तेजी से सकारात्मक दिखाई दे रहा है।
खुदरा महंगाई वर्तमान श्रृंखला में अक्तूबर में अब तक के सबसे निचले स्तर 0.25 फीसदी पर पहुंच गई है। मंत्रालय ने कहा, इस गिरावट का मुख्य कारण जीएसटी दरों में कमी, अनुकूल आधार प्रभाव और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट है। जीएसटी दरों के युक्तिकरण से उपभोग को उल्लेखनीय बढ़ावा मिला है, जो उच्च आवृत्ति संकेतकों की मजबूती से परिलक्षित होता है। इसमें अधिक ई-वे बिल निर्माण, त्योहारी सीजन में रिकॉर्ड ऑटोमोबाइल बिक्री, मजबूत यूपीआई लेनदेन मूल्य और ट्रैक्टर बिक्री में वृद्धि शामिल है। ये घटनाक्रम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग की स्थिति में बड़े सुधार की ओर इशारा करते हैं।
वैश्विक दबाव पहले की तुलना में कम
बाहरी परिवेश में व्यापार नीति संबंधी अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि वैश्विक दबाव पहले की तुलना में कम हुए हैं। विभिन्न स्वतंत्र आर्थिक आकलनों के अनुसार, जुलाई-सितंबर के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7-7.5 प्रतिशत के दायरे में है। यह आर्थिक गतिविधि में निरंतर मजबूती का संकेत है। अर्थव्यवस्था दूसरी छमाही में स्थिर आधार पर प्रवेश कर रही है। इसका आधार अच्छी तरह से नियंत्रित मुद्रास्फीति और लचीली घरेलू मांग है।
खुदरा महंगाई वर्तमान श्रृंखला में अक्तूबर में अब तक के सबसे निचले स्तर 0.25 फीसदी पर पहुंच गई है। मंत्रालय ने कहा, इस गिरावट का मुख्य कारण जीएसटी दरों में कमी, अनुकूल आधार प्रभाव और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट है। जीएसटी दरों के युक्तिकरण से उपभोग को उल्लेखनीय बढ़ावा मिला है, जो उच्च आवृत्ति संकेतकों की मजबूती से परिलक्षित होता है। इसमें अधिक ई-वे बिल निर्माण, त्योहारी सीजन में रिकॉर्ड ऑटोमोबाइल बिक्री, मजबूत यूपीआई लेनदेन मूल्य और ट्रैक्टर बिक्री में वृद्धि शामिल है। ये घटनाक्रम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग की स्थिति में बड़े सुधार की ओर इशारा करते हैं।
वैश्विक दबाव पहले की तुलना में कम
बाहरी परिवेश में व्यापार नीति संबंधी अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि वैश्विक दबाव पहले की तुलना में कम हुए हैं। विभिन्न स्वतंत्र आर्थिक आकलनों के अनुसार, जुलाई-सितंबर के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7-7.5 प्रतिशत के दायरे में है। यह आर्थिक गतिविधि में निरंतर मजबूती का संकेत है। अर्थव्यवस्था दूसरी छमाही में स्थिर आधार पर प्रवेश कर रही है। इसका आधार अच्छी तरह से नियंत्रित मुद्रास्फीति और लचीली घरेलू मांग है।
