भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना जरूरी नहीं, देश पर गर्व करने वाला हर भारतीय हिंदू: भागवत
- दिल्ली राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- November 19, 2025
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नई दिल्ली। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को स्वाभाविक रूप से ‘हिंदू राष्ट्र’ बताया है। उन्होंने कहा कि भारत और हिंदू पर्यायवाची हैं। भागवत ने आरएसएस के चरित्र निर्माण और भारत को वैश्विक नेता बनाने के लक्ष्य पर जोर दिया। उन्होंने घुसपैठ और जनसंख्या नीति पर चिंता जाहिर की है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जो भारत पर गर्व करता है, वह हिंदू है। उन्होंने हिंदू को सिर्फ एक धार्मिक नहीं, बल्कि एक सभ्यतागत पहचान बताया है. भागवत ने कहा कि भारत और हिंदू एक ही हैं। उन्होंने भारत को स्वाभाविक रूप से ‘हिंदू राष्ट्र’ करार दिया और आरएसएस के चरित्र निर्माण व एकता के लक्ष्य पर जोर दिया।
मोहन भागवत ने गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है, इसकी सभ्यता पहले से ही इसे जाहिर करती है। उन्होंने कहा कि हिंदू सिर्फ धार्मिक शब्द नहीं बल्कि एक सभ्यतागत पहचान है, जो हजारों साल की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी है।
उन्होंने कहा, भारत और हिंदू पर्यायवाची हैं। भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ होने के लिए किसी आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता नहीं है। इसकी सभ्यतागत प्रकृति पहले से ही इसे दर्शाती है। भागवत ने कहा कि आरएसएस की स्थापना किसी का विरोध करने या उसे नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने और भारत को वैश्विक नेता बनाने में योगदान देने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा, विविधता के बीच भारत को एकजुट करने की पद्धति को आरएसएस कहा जाता है।
मोहन भागवत ने गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है, इसकी सभ्यता पहले से ही इसे जाहिर करती है। उन्होंने कहा कि हिंदू सिर्फ धार्मिक शब्द नहीं बल्कि एक सभ्यतागत पहचान है, जो हजारों साल की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी है।
उन्होंने कहा, भारत और हिंदू पर्यायवाची हैं। भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ होने के लिए किसी आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता नहीं है। इसकी सभ्यतागत प्रकृति पहले से ही इसे दर्शाती है। भागवत ने कहा कि आरएसएस की स्थापना किसी का विरोध करने या उसे नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने और भारत को वैश्विक नेता बनाने में योगदान देने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा, विविधता के बीच भारत को एकजुट करने की पद्धति को आरएसएस कहा जाता है।
