स्वदेशी लेजर आधारित एंटी-ड्रोन प्रणाली से लैस होगी भारतीय सेना, दुश्मन ड्रोन होंगे ढेर
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- November 17, 2025
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नई दिल्ली। भारतीय सेना और वायुसेना जल्द ही 16 स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम से लैस होगी। जो 2 किमी दूर से लेजर बीम से दुश्मन ड्रोन को ढेर कर सकेंगी। रक्षा मंत्रालय डीआरडीओ के आईडीडीएस मार्क-2 को मंजूरी देने वाला है। 10 किलोवॉट लेजर वाली यह प्रणाली पहले से दोगुनी दूरी से लक्ष्य भेद सकती है।
भारतीय सेना और वायुसेना अब ड्रोन खतरों का मुकाबला और मजबूती से कर सकेंगी क्योंकि दोनों सेनाएं पहली बार 16 स्वदेशी ड्रोन-रोधी प्रणाली खरीदने जा रही हैं। ये नई एंटी-ड्रोन प्रणालियां दो किमी की दूरी से ही दुश्मन के ड्रोन को लेजर बीम से निष्क्रिय कर सकेंगी। हाल के वर्षों में दुश्मन देशों और आतंकी संगठनों द्वारा बढ़ते ड्रोन इस्तेमाल ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाला है। इसी चुनौती का सामना करने के लिए सरकार और रक्षा तंत्र तेजी से कदम उठा रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय जल्द ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित उन्नत इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (आईडीडीएस मार्क-2) को मंजूरी देने की तैयारी में है। अधिकारियों के अनुसार यह प्रणाली लेजर आधारित 10 किलोवॉट बीम से लैस है, जो पहले संस्करण की तुलना में दुगुनी दूरी से दुश्मन ड्रोन को तबाह कर सकती है। पहले संस्करण की क्षमता सिर्फ एक किमी तक सीमित थी।
उन्नत लेजर हथियारों की दिशा में बड़ा कदम
नई प्रणाली की खासियत यह भी है कि यह न सिर्फ ड्रोन को मार गिरा सकती है, बल्कि उनके सेंसर और संरचना को भी क्षतिग्रस्त कर ऑपरेशन को पूरी तरह रोक देती है। भारत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से बड़े पैमाने पर ड्रोन इस्तेमाल के बाद लेजर आधारित इंटरसेप्शन सिस्टम पर तेजी से काम कर रहा है।
इसी प्रक्रिया के तहत डीआरडीओ ने पांच किमी दूरी तक मार करने वाली 30 किलोवॉट लेजर आधारित डायरेक्ट एनर्जी वेपन (डीईडब्ल्यू) प्रणाली का भी सफल परीक्षण किया है। इस साल अप्रैल में भारत ने पहली बार लेजर हथियार का उपयोग कर फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वॉर्म ड्रोन को गिराने की क्षमता दिखाकर दुनिया में अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों की कतार में जगह बनाई।
रक्षा मंत्रालय जल्द ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित उन्नत इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (आईडीडीएस मार्क-2) को मंजूरी देने की तैयारी में है। अधिकारियों के अनुसार यह प्रणाली लेजर आधारित 10 किलोवॉट बीम से लैस है, जो पहले संस्करण की तुलना में दुगुनी दूरी से दुश्मन ड्रोन को तबाह कर सकती है। पहले संस्करण की क्षमता सिर्फ एक किमी तक सीमित थी।
उन्नत लेजर हथियारों की दिशा में बड़ा कदम
नई प्रणाली की खासियत यह भी है कि यह न सिर्फ ड्रोन को मार गिरा सकती है, बल्कि उनके सेंसर और संरचना को भी क्षतिग्रस्त कर ऑपरेशन को पूरी तरह रोक देती है। भारत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से बड़े पैमाने पर ड्रोन इस्तेमाल के बाद लेजर आधारित इंटरसेप्शन सिस्टम पर तेजी से काम कर रहा है।
इसी प्रक्रिया के तहत डीआरडीओ ने पांच किमी दूरी तक मार करने वाली 30 किलोवॉट लेजर आधारित डायरेक्ट एनर्जी वेपन (डीईडब्ल्यू) प्रणाली का भी सफल परीक्षण किया है। इस साल अप्रैल में भारत ने पहली बार लेजर हथियार का उपयोग कर फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वॉर्म ड्रोन को गिराने की क्षमता दिखाकर दुनिया में अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों की कतार में जगह बनाई।
