ब्राजील में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान आदिवासी समुदाय का प्रदर्शन

 ब्राजील में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान आदिवासी समुदाय का प्रदर्शन
बेलेम। ब्राजील में कॉप30 सम्मेलन स्थल पर प्रदर्शन के दौरान आदिवासी प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़ दिया, वहीं उन्हें रोकने के प्रयास में दो सुरक्षाकर्मियों को हल्की चोटें आई है। जानकारी के मुताबिक, आदिवासी समुदायों की भागीदारी और विकास के मुद्दों पर असंतोष के चलते ये प्रदर्शन किया गया। फिलहाल संयुक्त राष्ट्र और ब्राजील सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
ब्राजील के अमेजन शहर बेलेम में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन (कॉप30) के मुख्य स्थल पर मंगलवार को कुछ आदिवासी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा कर्मियों के बीच झड़प हो गई। इस दौरान आदिवासी प्रदर्शनकारियों ने कुछ देर के लिए सुरक्षा घेरा तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की, जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें पीछे धकेल दिया। इस दौरान दो सुरक्षाकर्मियों को मामूली चोटें आईं।
मामले में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संगठन ने एक बयान में कहा, कुछ आदिवासी प्रदर्शनकारियों ने मुख्य प्रवेश द्वार पर सुरक्षा बैरियर तोड़ दिए, जिससे दो सुरक्षा कर्मियों को हल्की चोटें आईं और स्थल को मामूली नुकसान हुआ। ब्राजील और संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा टीम ने तय प्रोटोकॉल के अनुसार तुरंत कार्रवाई की। फिलहाल स्थल पूरी तरह सुरक्षित है और सम्मेलन की बातचीत सामान्य रूप से जारी है।’
झड़प से पहले क्या?
घटना उस समय हुई जब दिन का सत्र समाप्त हो रहा था और लोग सम्मेलन स्थल से बाहर निकल रहे थे। प्रदर्शनकारियों में कुछ लोग पीली टी-शर्ट में थे, जबकि कुछ आदिवासी समुदाय के पारंपरिक वस्त्र पहने हुए थे।
ग्लोबल यूथ गठबंधन के युवा समन्वयक अगस्टिन ओकान्या, जो मौके पर मौजूद थे, ने बताया कि प्रदर्शनकारी शुरू में नाच-गाकर नारे लगा रहे थे। वह भी उनके साथ चलने लगे क्योंकि उनके कुछ दोस्त आदिवासी समूह में थे। ओकान्या के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं था कि पहले किसने सुरक्षा घेरा तोड़ा, लेकिन जैसे ही गार्डों ने दरवाजे बंद करने की कोशिश की और अतिरिक्त सुरक्षा बुला ली, स्थिति बिगड़ गई। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ‘वे हमारे बिना हमारे लिए फैसले नहीं कर सकते’ के नारे लगा रहे थे। यह नारा इस बात का प्रतीक था कि आदिवासी समुदाय महसूस करते हैं कि जलवायु वार्ताओं में उनकी भागीदारी को नजरअंदाज किया जा रहा है।