आशा कार्यकर्ता करवा रही थी धर्म परिवर्तन, आर्थिक मदद का प्रलोभन

 आशा कार्यकर्ता करवा रही थी धर्म परिवर्तन, आर्थिक मदद का प्रलोभन

जौनपुर/वाराणसी। जौनपुर में आशा कार्यकर्ता धर्म परिवर्तन करा रही हैं। ऑनलाइन चंगाई सभा का आयोजन किया जाता है। सरनेम बदलने का दबाव नहीं होता है। इस बदलाव के पीछे की वजह सरकारी योजनाओं से वंचित होने का डर है। जौनपुर सहित पूर्वांचल के 10 जिलों में प्रलोभन, आर्थिक मदद के नाम पर धर्मांतरण कराया जा रहा है।

ईसाई मिशनरियों ने पूर्वांचल के 10 जिलों में धर्मांतरण का ट्रेंड बदल दिया है। अब धर्म परिवर्तन करने वालों के सरनेम नहीं बदले जा रहे हैं। इसकी दो वजहें हैं। पहली यह कि ईसाई धर्म अपनाने वाले लोगों के बीच रहकर काम कर रहे हैं।

दूसरी वजह, सरकारी दस्तावेजों में कोई बदलाव नहीं करना पड़ रहा। सरकारी योजनाओं का लाभ पहले की तरह मिल रहा है। एससी-एसटी, ओबीसी आरक्षण व उनसे जुड़े लाभ भी मिल रहे हैं। मिशनरियों ने धर्म परिवर्तन में आशा कार्यकर्ताओं तक को लगा दिया है।

बातचीत की रिकॉर्डिंग सुरक्षित

जौनपुर की एक आशा कार्यकर्ता (हमारे पास आशा कार्यकर्ता का नाम, उससे बातचीत की रिकॉर्डिंग सुरक्षित है) धर्म परिवर्तन कर चुकी है जो अब धर्म परिवर्तन कराने का काम तेजी से कर रही है। वह कहती है, मेरी पहचान वही है, सिर्फ एक लॉकेट पहन लिया है। लॉकेट कपड़े के अंदर रहता है।

सरनेम नहीं बदला है। वह कहती है, भुल्लनडीह में दुई लइकी जौन की हिजरी यानी किन्नर पैदा भइन, परमेश्वर उनकै नारी बना दीहिन। पुलिस की सख्ती की वजह से चंगाई सभा का तरीका बदल गया है। अब मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन प्रार्थना सभा होती है। इतवार, शुक्रवार की सभा मुंबई से चलती है। नए लोगों को जोड़ा जाता है।

धर्म परिवर्तन के लिए नाम बदलने की बात

धर्म परिवर्तन के लिए नाम बदलने की बात पर वह कहती है, नाही नमवा काहे बदलबा, चोरी करा है, जौन तुहार इच्छा है उ करा, सब फिंकुवा बात है। एक नाव पर चलना होगा, देवी-देवता को मानो या परमेश्वर को। दु तरफ न जाई, जब चाही तब प्रभु का नाम लेहे अउर सभा में नाम थोड़ी लिखावन है, अपने घरै प्रार्थना करा, चलबा उवां तब बाइबल, फोटो, किताब मिलिहा। दिल्ली, मुंबई तक से लोग यहां आते हैं। चंडीगढ़ के पास्टर बजिंदर की चंगाई सभा होती है।