पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान को सरोद ऋषि सम्मान
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- October 29, 2025
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अमजद अली ख़ान हाफ़िज़ अली ख़ान के सबसे छोटे बेटे हैं, छठवीं पीढ़ी के सरोद वादक हैं।
कमानी के खचाखच भरे सभागार में पंडित साजन मिश्र एवं उनके पुत्र स्वरांश मिश्र ने उन्हें सम्मानित किया। सम्मान से पूर्व मंच पर स्वरांश मिश्र ने अमजद अली ख़ान के पाँव पखारे।
रस ट्रस्ट की संकल्पना स्व. राजन मिश्र के सहोदर व उनके संगत कलाकार एक प्राण दो देह कहे जाने वाले पंडित साजन मिश्र ने की है।
रस ट्रस्ट का यह पहला ही कार्यक्रम था।
साजन मिश्र बताते हैं कि रस ट्रस्ट का नामकरण बनारस के रस और राजन साजन के नाम अक्षरों से प्रेरित है। पंडित राजन साजन मिश्र की अप्रतिम जोड़ी का भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन की परंपरा को विश्व विस्तार देने में सफल योगदान है जो सर्वविदित है।
पंडित राजन मिश्र की कोविड काल में निधन के बाद यह जोड़ी अधूरी रह गई, लेकिन साजन मिश्र ने संगीत के प्रति अपनी आस्था और पारिवारिक विरासत को टूटने से बचा लिया है, यह आयोजन इसका प्रमाण भी है और भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी।
देश दुनिया में मशहूर राजन साजन मिश्र बनारस घराने के मशहूर सारंगी वादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र और विदुषी गगन किशोरी के पुत्र हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत पंडित रितेश रजनीश मिश्र के हिन्दुस्तानी गायन के साथ हुई। तबले पर पंडित मिथिलेश झा और हारमोनियम पर पंडित सुमित मिश्रा ने संगत की।
पंडित रितेश रजनीश मिश्र पंडित राजन मिश्र के पुत्र और शिष्य हैं जिन्होंने पिता और चाचा से अर्जित अपने पुरखों की 400 वर्षों की बनारस घराने की महान शास्त्रीय गायन की परंपरा को बनाए रखा है। इन्होंने अपने पिता द्वारा रचित उनका प्रिय राग , राग जयजयवंती, और तेज पर बंदिश सूनी सेजिया नहीं भावे….कब से पिया परदेसवा और झूठी देखी प्रीत जगत में सुनाई।
इसके बाद रस ट्रस्ट के प्रथम सम्मान समारोह में उस्ताद अमजद अली खान को सरोद ऋषि सम्मान से अलंकृत किया गया।
सम्मान समारोह के बाद
उस्ताद अमजद अली खान और पंडित कुमार बोस का सरोद तबला संवाद हुआ।
आरंभ राग बिहारी से हुआ। इसके बाद राग झिंझोटी विलंबित गत और साढ़े छह मात्रा की बंदिश का वादन किया। उस्ताद अमजद ने कहा कि राग कविता की तरह है। बजाने से पहले इसका अभ्यास बोल कर करना चाहिए। इन्होंने साढ़े छह मात्रा की बंदिश गाकर भी सुनाई। तबले पर इनकी संगत बनारस घराने के प्रख्यात तबला वादक पंडित किशन महाराज के शिष्य पंडित कुमार बोस (कोलकाता से) ने की। तबले की थाप और सरोद की झंकार ने अविस्मरणीय पल रचे।
संगीत के कद्रदानों व सुधी श्रोताओं ने सरोद व तबले के संगत को खूब सराहा।
कार्यक्रम में पंडित राजन साजन मिश्र की जोड़ी के सफर पर एक छोटा सा वीडियो भी दिखाया गया। शुरुआत पंडित राजन मिश्र के चित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन से हुई। कार्यक्रम के दौरान ऑडोटोरियम श्रोताओं दर्शकों से अंत तक भरा रहा। ऑडियो की थोड़ी गड़बड़ी के कारण बीच बीच में व्यवधान उत्पन्न होते रहे। कमानी सभागार को ऑडियो संबंधित व्यवधानों पर ध्यान देना चाहिए। मेरे पहले अनुभव में भी इस तरह की कुछ कमियां आई थीं।
पंडित रामबक्श, पंडित गणेश मिश्र , पंडित सुर सहाय, पंडित हनुमान मिश्र और गोपाल मिश्र, राजन साजन मिश्र की संगीत परंपरा को रितेश रजनीश स्वरांश और शिष्य गण आगे तक ले जाएँ ! रस ट्रस्ट को भविष्यगामी पहल के लिए बधाई और शुभकामनाएँ! ऋचा अनिरुद्ध ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम एक यादगार आयोजन रहा।
