डायबीटिक मरीजों को ट्रेन में मिलेगा शुगर फ्री फूड, बस करना होगा ये काम

 डायबीटिक मरीजों को ट्रेन में मिलेगा शुगर फ्री फूड, बस करना होगा ये काम

नई दिल्ली। डायबिटीज के मरीजों को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने यात्रियों की सेहत को लेकर बड़ा कदम उठाया है। भारतीय रेलवे अब वंदे भारत, राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में सफर करने वाले डायबिटिक यात्रियों को खास खाना उपलब्ध कराएगी। रेलवे ने इन ट्रेनों में डायबिटिक फूड ऑप्शन की सुविधा शुरू करने का फैसला किया है।
आईआरसीटीसी के मुताबिक इस फैसले का मकसद उन यात्रियों को सुविधा देना है जो डायबिटीज जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं और सफर में हेल्दी फूड ना मिलने से दिक्कत महसूस करते हैं। आमतौर पर यात्रियों को टिकट बुकिंग के समय विकल्प चयन करने पर इस तरह का भोजन दिया जाता था। लेकिन अब इस तरह के फूड की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है। अब यात्री टिकट बुकिंग के दौरान यात्री इस तरह के फूड का विकल्प चुन सकेंगे कि उन्हें डायबिटिक डाइट चाहिए या सामान्य भोजन। जो यात्री यह विकल्प चुनेंगे, उन्हें यात्रा के दौरान शुगर नियंत्रित रखने वाला संतुलित आहार परोसा जाएगा।
रेलवे का कहना है कि, इस पहल का उद्देश्य यात्रियों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें बेहतर सुविधा देना है, ताकि ट्रेन यात्रा न केवल आरामदायक बल्कि सेहतमंद भी बने। रेलवे ने इसके लिए सभी संबंधित विभागों को आदेश जारी कर दिए हैं।
भारत में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, देश में फिलहाल करीब 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, जबकि 2.5 करोड़ से अधिक लोग प्री-डायबिटिक स्टेज में हैं। यानी आने वाले समय में उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है। हर साल लगभग 16 लाख लोगों की मौत डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं के कारण होती है, जो चिंता का बड़ा कारण है। दुनिया में भारत डायबिटीज से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में दूसरे नंबर पर है। खासकर शहरी इलाकों में बदलती जीवनशैली, प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता चलन और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने इस बीमारी के फैलाव को और तेज कर दिया है।
सरकार और रेलवे बोर्ड के इस फैसले की स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी सरहाना कर रहे है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न सिर्फ यात्रियों की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि लोगों में हेल्दी खाने की आदतों को भी प्रोत्साहित करेगा। रेलवे बोर्ड का मानना है कि अगर यह पहल सफल रही तो आने वाले समय में इसे अन्य प्रीमियम और लंबी दूरी की ट्रेनों में भी लागू किया जा सकता है।