हमास हमले की आज बरसी, इस्राइली बंधक कर रहे रिहाई का इंतजार, गाजा मलबे में तब्दील

 हमास हमले की आज बरसी, इस्राइली बंधक कर रहे रिहाई का इंतजार, गाजा मलबे में तब्दील
येरुशलम। आज मंगलवार इस्राइल के लिए उस काले दिन की दूसरी बरसी मनाने वाला है। जब 7 अक्तूबर 2023 को हमास के आतंकियों ने सबसे बड़ा हमला किया था। दो साल बाद भी जंग खत्म नहीं हुई, गाजा में तबाही जारी है, और कई बंधक अब भी हमास के कब्जे में हैं। इस बार का मुख्य स्मृति समारोह सरकार नहीं, बल्कि शहीदों और बंधकों के परिजनों ने आयोजित किया है। यह इस बात का संकेत है कि देश अब भी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की नीतियों को लेकर गहराई से बंटा हुआ है। कई नागरिकों का मानना है कि नेतन्याहू सरकार युद्ध को लंबा खींच रही है और बंधकों की रिहाई के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही।
हमास के हमले की वो भयावह सुबह
7 अक्तूबर 2023 की सुबह, हजारों हमास आतंकियों ने गाजा से रॉकेट बरसाने के बाद दक्षिणी इस्राइल के इलाकों में घुसपैठ की थी। उन्होंने सेना के ठिकानों, गांवों और एक संगीत समारोह (नोवा म्यूजिक फेस्टिवल) पर हमला किया। इस हमले में लगभग 1200 इस्राइली मारे गए, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे, इसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। इस हमले के दौरान 251 लोगों को अगवा किया गया, जिनमें से अब तक अधिकतर को युद्धविराम समझौतों या सौदों के जरिए रिहा किया जा चुका है। लेकिन 48 बंधक अब भी गाजा में हैं, और इस्राइल का मानना है कि उनमें से करीब 20 जीवित हैं।
हमास का कहना है कि वह बंधकों को तभी छोड़ेगा जब स्थायी युद्धविराम और इस्राइल की सेना की वापसी होगी। वहीं नेतन्याहू का वादा है कि ‘जब तक आखिरी बंधक वापस नहीं आ जाता और हमास पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता, युद्ध जारी रहेगा।’
क्षेत्रीय युद्ध में बदल गया संघर्ष
इस हमले ने पूरे पश्चिम एशिया को हिला दिया। इस्राइल अब सिर्फ हमास से नहीं, बल्कि ईरान और उसके सहयोगियों से भी टकरा रहा है, जिनमें लेबनान का हिजबुल्ला प्रमुख है। इस बीच, अमेरिका भी इस्राइल के साथ खड़ा है। जून में 12 दिन चले ईरान-इस्राइल संघर्ष में दोनों देशों ने एक-दूसरे के ठिकानों पर हमले किए। इस्राइल ने कई शीर्ष आतंकियों, ईरानी जनरलों और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया है। उसने गाजा के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है, साथ ही लेबनान और सीरिया के कुछ सीमाई इलाकों पर भी कब्जा किया है। फिर भी, बंधक वापस न आ पाने से इस्राइल के भीतर गहरा असंतोष है। हर हफ्ते तेल अवीव और येरुशलम में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।