कुट्टू का आटा क्या होता है, इसको खाने से क्यों पड़ते हैं बीमार, जाने सब कुछ

 कुट्टू का आटा क्या होता है, इसको खाने से क्यों पड़ते हैं बीमार, जाने सब कुछ
नई दिल्ली। दिल्ली में कुट्टू का आटा खाने से लगभग 200 से 250 लोग बीमार पड़ गए। मरीजों की हालत गंभीर नहीं है और उनकी हालत स्थिर बतायी जा रही है। पुलिस को मंगलवार सुबह सूचना मिली कि कई लोगों ने कुट्टू का आटा खाने के बाद बेचैनी और उल्टी की शिकायत की है। प्रभावित लोगों को जहांगीरपुरी के बाबू जगजीवन राम (बीजेआरएम) अस्पताल ले जाया गया और पुलिस ने खाद्य विभाग को इस बारे में सूचित किया। प्रभावित व्यक्ति मुख्य रूप से जहांगीरपुरी, महेंद्र पार्क, समयपुर, भलस्वा डेयरी, लाल बाग और स्वरूप नगर इलाकों के थे। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के मेरठ में सामने आया, जहां कुट्टू का आटा खाने से करीब 150 लोग बीमार हो गए।उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों ने व्रत के दौरान कुट्टू के आटे से बनी चीजें खाई थीं।आशंका है कि आटे में मिलावट रही होगी, इसलिए वे फूड पॉइजनिंग के शिकार हो गए। यह पहला मामला नहीं है जब कुट्टू का आटा खाने से लोग बीमार हुए हैं। हर साल नवरात्र के समय इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं।
आखिर क्या है कुट्टू
तो आखिर क्या है कुट्टू जिसके आटे को व्रत में चाव से खाते हैं लोग? लेकिन ये कभी-कभी खाने वाले के लिए जहरीला बन जाता है. कैसे बनता है कुट्टू का आटा, कहां होती है इसकी खेती।  कुट्टू के आटे को अंग्रेजी में Buckwheat flour कहते हैं। इसके नाम में ‘व्हीट’ शब्द जरूर लगा है, लेकिन यह अनाज नहीं है। वास्तव में कुट्टू का आटा एक फल से बनता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘फागोपाइरम एस्कुलेंटम’ (Fagopyrum Esculentum) है. इसे भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि टाऊ, ओगला, ब्रेश, और फाफड़।
कुट्टू को अक्सर सुपरफूड कहा जाता है क्योंकि ये पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। कुट्टू प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है। इसमें प्रति 100 ग्राम में लगभग 15 ग्राम प्रोटीन होता है। इसमें अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भी पाए जाते हैं। यही कारण है कि इसे व्रत के दौरान भी इस्तेमाल किया जाता है, जहां इसकी पूड़ी और पकौड़ी बनाई जाती हैं। कुट्टू के आटे में अल्फा लाइनोलेनिक एसिड होता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक माना जाता है। कुट्टू के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए यह डायबिटीज के रोगियों के लिए भी अच्छा माना जाता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के अनुसार कुट्टू के आटे में अघुलनशील फाइबर भी मौजूद होता है, जो गॉलब्लैडर की पथरी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
कुट्टू के आटे की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है. यह एक से डेढ़ महीने के भीतर खराब हो सकता है। एक्सपायरी के बाद इसका सेवन करने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। कुट्टू के आटे में मिलावट की पहचान करने के दो आसान तरीके हैं। कुट्टू का असली आटा भूरे रंग का होता है। अगर इसमें गेहूं का आटा या कोई और चीज मिलाई जाती है, तो इसका रंग बदल जाता है। मिलावट होने पर आटा गूंथते समय बिखरने लगता है, जबकि शुद्ध आटा आसानी से गूंथ जाता है।