सुप्रीम कोर्ट का आदेश…’कुलपति के बायोडाटा में शामिल हो यौन उत्पीड़न का मामला’, गलती को नहीं भुलाया जा सकता
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- September 13, 2025
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कहा कि किसी गलत करने वाले को माफ किया जा सकता है, लेकिन उसकी गलती को नहीं भुलाया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) के खिलाफ यौन उत्पीड़न के एक मामले की सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले से जुड़ा उसका फैसला कुलपति के बायोडाटा का हिस्सा बनाया जाए, ताकि यह आरोप हमेशा उसका पीछा करता रहे।
यह मामला पश्चिम बंगाल के एक विश्वविद्यालय की एक महिला संकाय सदस्य (फैकल्टी मेंबर) की ओर से दिसंबर 2023 में दर्ज कराई गई शिकायत से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कुलपति पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले शामिल थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोलकाता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह तय करने में कोई गलती नहीं की कि शिकायत समयसीमा से बाहर थी और इसलिए उसे खारिज किया जाना उचित था।
सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर शिकायत को खारिज करने की प्रक्रिया को सही माना, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि घटना को भुलाया नहीं जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, यह जरूरी है कि इस तरह की घटनाएं, भले ही माफ कर दी जाएं, लेकिन गलत करने वाले के लिए यह हमेशा एक स्मृति के रूप में बनी रहे। इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि कुलपति के बायोडाटा में इस फैसले को शामिल करना अनिवार्य होगा और इसकी जिम्मेदारी कुलपति की व्यक्तिगत होगी।
कोर्ट ने शिकायत की समयसीमा को लेकर बताया कि शिकायतकर्ता ने दिसंबर 2023 में लोक शिकायत समिति (एलसीसी) के पास शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन एलसीसी ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि आखिरी कथित यौन उत्पीड़न अप्रैल 2023 में हुआ था और यह शिकायत तीन महीने की तय सीमा और छह महीने की अधिकतम बढ़ाई जा सकने वाली सीमा, दोनों से बाहर थी।
सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर शिकायत को खारिज करने की प्रक्रिया को सही माना, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि घटना को भुलाया नहीं जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, यह जरूरी है कि इस तरह की घटनाएं, भले ही माफ कर दी जाएं, लेकिन गलत करने वाले के लिए यह हमेशा एक स्मृति के रूप में बनी रहे। इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि कुलपति के बायोडाटा में इस फैसले को शामिल करना अनिवार्य होगा और इसकी जिम्मेदारी कुलपति की व्यक्तिगत होगी।
कोर्ट ने शिकायत की समयसीमा को लेकर बताया कि शिकायतकर्ता ने दिसंबर 2023 में लोक शिकायत समिति (एलसीसी) के पास शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन एलसीसी ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि आखिरी कथित यौन उत्पीड़न अप्रैल 2023 में हुआ था और यह शिकायत तीन महीने की तय सीमा और छह महीने की अधिकतम बढ़ाई जा सकने वाली सीमा, दोनों से बाहर थी।