नई दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि पुलिसकर्मी को वर्दी पहनते ही अपनी निजी और धार्मिक सोच का त्याग करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अकोला के ओल्ड सिटी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर की तरफ से दिए गए हलफनामे में याचिकाकर्ता के खिलाफ गलत मंशा के आरोप लगाए गए, जिन्हें हाईकोर्ट ने भी मान लिया। जबकि पुलिस का कर्तव्य था कि वह निष्पक्ष होकर मामले की सच्चाई की जांच करे, खासकर तब जब याचिकाकर्ता 17 साल का लड़का है और खुद को प्रत्यक्षदर्शी बता रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जब पुलिस अधिकारी वर्दी पहनते हैं, तो उन्हें अपनी व्यक्तिगत, धार्मिक, जातीय या अन्य किसी भी तरह की पूर्वाग्रह वाली सोच को पूरी तरह त्याग देना चाहिए और सिर्फ कानून और अपने कर्तव्य के प्रति सच्चे रहना चाहिए। महाराष्ट्र के अकोला में 2023 में हुए साम्प्रदायिक दंगों के दौरान हुई हत्या के मामले में कार्रवाई में लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का आदेश दिया। अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगाई कि उन्होंने अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज तक नहीं की, जो उनके कर्तव्य में गंभीर चूक है।