सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने नए न्यायाधीशों को दिलाई शपथ, जजों की संख्या अब 34
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- August 29, 2025
- 0
- 61
- 1 minute read

नई दिल्ली। 25 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने केंद्र को न्यायमूर्ति अराधे और न्यायमूर्ति पंचोली के नामों की शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति के लिए सिफारिश की थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपुल मनुभाई पंचोली को शपथ दिलाई। दोनों न्यायाधीशों को 27 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। उनकी पदोन्नति के साथ सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की पूर्ण कार्य क्षमता फिर से पूरी हो गई। जस्टिस जॉयमाल्या बागची के 2 अक्तूबर, 2031 को सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति पंचोली अक्तूबर 2031 में मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में होंगे। उनके 3 अक्तूबर, 2031 को मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करने और 27 मई, 2033 को सेवानिवृत्त होने का अनुमान है।
कॉलेजियम के एकमत न होने का कारण?
इससे पहले 25 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने केंद्र को न्यायमूर्ति अराधे और न्यायमूर्ति पंचोली के नामों की शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति के लिए सिफारिश की थी। हालांकि, कॉलेजियम सदस्य और सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने न्यायमूर्ति पंचोली को शीर्ष न्यायालय में पदोन्नत करने की सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश पर कड़ी असहमति दर्ज की और कहा कि उनकी नियुक्ति न्यायपालिका के लिए प्रतिकूल होगी। शीर्ष न्यायालय की एकमात्र महिला न्यायाधीश, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी असहमति दर्ज की थी। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अपनी असहमति में कहा था कि उनकी नियुक्ति को आगे बढ़ाने से कॉलेजियम प्रणाली की बची-खुची विश्वसनीयता खत्म हो सकती है।
कॉलेजियम के एकमत न होने का कारण?
इससे पहले 25 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने केंद्र को न्यायमूर्ति अराधे और न्यायमूर्ति पंचोली के नामों की शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति के लिए सिफारिश की थी। हालांकि, कॉलेजियम सदस्य और सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने न्यायमूर्ति पंचोली को शीर्ष न्यायालय में पदोन्नत करने की सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश पर कड़ी असहमति दर्ज की और कहा कि उनकी नियुक्ति न्यायपालिका के लिए प्रतिकूल होगी। शीर्ष न्यायालय की एकमात्र महिला न्यायाधीश, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी असहमति दर्ज की थी। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अपनी असहमति में कहा था कि उनकी नियुक्ति को आगे बढ़ाने से कॉलेजियम प्रणाली की बची-खुची विश्वसनीयता खत्म हो सकती है।