आप नेता सौरभ भारद्वाज के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी, अस्पताल निर्माण घोटाला मामले में कार्रवाई

 आप नेता सौरभ भारद्वाज के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी, अस्पताल निर्माण घोटाला मामले में कार्रवाई
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के घर आज मंगलवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा है। अस्पताल निर्माण घोटाला मामले में ईडी ने कार्रवाई की है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के घर सहित 13 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा है। यह कार्रवाई अस्पताल निर्माण में हुए घोटाले को लेकर की गई है। ईडी अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम ने अस्पताल निर्माण में अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले में आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज के आवास पर छापेमारी की है। जानकारी के लिए बता दें कि ईडी की दिल्ली और आस पास के 13 ठिकानों पर छापेमारी चल रही है।
बीती 24 जून को आप सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज के खिलाफ हजारों करोड़ से अधिक के कथित अस्पताल घोटाले की जांच को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंजूरी दे दी थी। जांच के लिए भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने 22 अगस्त 2024 को शिकायत की थी। इसमें तत्कालीन मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर मिलीभगत कर स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। आम आदमी पार्टी (आप) ने इन आरोपों से इनकार किया था।
आरोप है कि साल 2018-19 में 5590 करोड़ रुपये की लागत की 24 अस्पताल परियोजनाएं (11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड) स्वीकृत की गई थी। इसमें बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप है। 6800 के कुल बिस्तर क्षमता वाले 7 आईसीयू अस्पतालों को सितंबर 2021 से 6 महीने के भीतर पूर्व-इंजीनियर संरचनाओं का उपयोग कर निर्माण के लिए 1125 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी 800 करोड़ रुपये की लागत के साथ केवल 50 फीसदी काम पूरा हुआ।
लोकनायक अस्पताल न्यू ब्लॉक परियोजना के लिए 465.52 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। चार साल में 1125 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई जो लागत से करीब तीन गुनी है। पॉलीक्लिनिक्स परियोजना के लिए 168.52 करोड़ रुपये की लागत स्वीकृत हुई। इसमें 94 पॉलीक्लिनिक्स तैयार करना था, लेकिन 52 का निर्माण करने पर 220 करोड़ रुपये खर्च हुए। स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली को लागू करने में एक दशक से अधिक समय की देरी हुई। इसमें वित्तीय लेन-देन में अस्पष्टता का मामला सामने आया। मंत्रियों ने एनआईसी की ई-हॉस्पिटल प्रणाली सहित लागत प्रभावी समाधानों को बार-बार खारिज किया।