भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिका टैरिफ का असर नहीं, खपत-विदेशी मुद्रा भंडार बनेगी ताकत
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- August 22, 2025
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दिल्ली। अमेरिका टैरिफ का भारतीय अर्थ व्यवस्था पर कोई असर नहीं होगा। ऐसा रेटिंग एजेंसियों का मानना है। रेटिंग एजेंसियों के अनुसार ट्रंप टैरिफ भारत के लिए अल्पकालिक चुनौती है। लेकिन अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक स्थिति स्थिर और सकारात्मक बनी रहेगी। मजबूत खपत, विशाल विदेशी मुद्रा भंडार और निर्यात विविधीकरण भारत को झटकों से बचाएंगे। स्टील, एल्युमिनियम, वाहन क्षेत्र पर असर संभव, फार्मा व आईटी सुरक्षित।
मूडीज, एसएंडपी और फिच जैसी प्रमुख रेटिंग एजेंसियां ट्रंप टैरिफ को भारत के लिए अल्पकालिक चुनौती मानती हैं। हालांकि, अर्थव्यवस्था का दीर्घकालिक परिदृश्य स्थिर और सकारात्मक बना रहेगा। एजेंसियों का आकलन है कि मजबूत घरेलू खपत, 650 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार और निर्यात विविधीकरण की क्षमता भारत को इन झटकों से बचा लेगी। एजेंसियों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ का सर्वाधिक असर एल्युमिनियम, स्टील, टेक्सटाइल्स और वाहन उपकरण क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिनकी अमेरिकी बाजार पर निर्भरता अपेक्षाकृत अधिक है। फार्मा उद्योग फिलहाल सुरक्षित है। आईटी क्षेत्र भी प्रत्यक्ष टैरिफ से बाहर है, लेकिन अमेरिकी वीजा पॉलिसी और आउटसोर्सिंग नियमों में सख्ती को विशेषज्ञ गैर-टैरिफ बाधा मान रहे हैं। इससे भारतीय आईटी कंपनियों की अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है।
एजेंसियों का आकलन और आधार
मूडीज : भारत की मध्यम अवधि में विकास दर 6.5-7 फीसदी बनी रहेगी। आधार : मजबूत खपत। जीडीपी का 55 फीसदी से अधिक हिस्सा। पीएलआई जैसी विनिर्माण प्रोत्साहन योजनाएं। फार्मा-आईटी जैसे उच्च मार्जिन क्षेत्रों पर टैरिफ नहीं।
एसएंडपी : भारत की क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहेगी। आधार : 650 अरब डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा भंडार। वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और बैंकों की सुधरी बैलेंस शीट। निवेश और पूंजी प्रवाह में आ रही लगातार मजबूती।
फिच : टैरिफ से व्यापार घाटा बढ़ेगा। भारत झेलने में सक्षम। आधार : बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाते का अच्छा संतुलन। नए निर्यात बाजारों में विविधीकरण।
घरेलू भारत बनाम चीन : फार्मा-आईटी में छूट से हम आगे
एजेंसियों का कहना है कि भारत और चीन दोनों ही अमेरिका के लिए बड़े व्यापारिक साझेदार हैं, लेकिन स्थिति भिन्न है। 2024-25 में भारत-अमेरिका के बीच 191 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। निर्यात में अमेरिकी हिस्सेदारी 17 फीसदी रही। अमेरिका-चीन व्यापार 575 अरब डॉलर से अधिक और निर्यात में अमेरिकी हिस्सेदारी 14 फीसदी। चीन पहले से व्यापक अमेरिकी टैरिफ और प्रतिबंधों के दबाव में है, जबकि भारत को फार्मा एवं आईटी सेक्टर में छूट मिली है। इसलिए, क्रेडिट एजेंसियों का मानना है कि भारत का व्यापारिक परिदृश्य चीन की तुलना में अधिक संतुलित है।
एजेंसियों का आकलन और आधार
मूडीज : भारत की मध्यम अवधि में विकास दर 6.5-7 फीसदी बनी रहेगी। आधार : मजबूत खपत। जीडीपी का 55 फीसदी से अधिक हिस्सा। पीएलआई जैसी विनिर्माण प्रोत्साहन योजनाएं। फार्मा-आईटी जैसे उच्च मार्जिन क्षेत्रों पर टैरिफ नहीं।
एसएंडपी : भारत की क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहेगी। आधार : 650 अरब डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा भंडार। वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और बैंकों की सुधरी बैलेंस शीट। निवेश और पूंजी प्रवाह में आ रही लगातार मजबूती।
फिच : टैरिफ से व्यापार घाटा बढ़ेगा। भारत झेलने में सक्षम। आधार : बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाते का अच्छा संतुलन। नए निर्यात बाजारों में विविधीकरण।
घरेलू भारत बनाम चीन : फार्मा-आईटी में छूट से हम आगे
एजेंसियों का कहना है कि भारत और चीन दोनों ही अमेरिका के लिए बड़े व्यापारिक साझेदार हैं, लेकिन स्थिति भिन्न है। 2024-25 में भारत-अमेरिका के बीच 191 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। निर्यात में अमेरिकी हिस्सेदारी 17 फीसदी रही। अमेरिका-चीन व्यापार 575 अरब डॉलर से अधिक और निर्यात में अमेरिकी हिस्सेदारी 14 फीसदी। चीन पहले से व्यापक अमेरिकी टैरिफ और प्रतिबंधों के दबाव में है, जबकि भारत को फार्मा एवं आईटी सेक्टर में छूट मिली है। इसलिए, क्रेडिट एजेंसियों का मानना है कि भारत का व्यापारिक परिदृश्य चीन की तुलना में अधिक संतुलित है।