राजधानी में आवारा कुत्तों का आतंक, कुत्ता काटने पर 2000 से अधिक लोग पहुंच रहे अस्पताल
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- August 14, 2025
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नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक है। कुत्ता काटने के करीब 2000 लोग प्रतिदिन विभिन्न अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। अकेले सफदरजंग अस्पताल में 700-800 लोग कुत्ते के काटने पर टीकाकरण के लिए आते हैं। जबकि दिल्ली के दूसरे अस्पतालों में प्रतिदिन 150-200 की तादाद में लोग कुत्ते के काटने पर उपचार के लिए आते हैं।
दिल्ली में कुत्ते के हमले का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और युवा होते हैं। अस्पतालों में कुत्तों के काटने पर रोजाना औसतन 2000 से अधिक लोग उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।
डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के एंटी रेबीज वैक्सीनेशन सेंटर के प्रभारी डॉ. देबाशीष परमार ने बताया, अस्पताल में रोजाना 150-200 लोग कुत्ते के काटने के बाद टीकाकरण के लिए आते हैं। इनमें ज्यादातर 14 साल से कम उम्र के बच्चे और युवा शामिल होते हैं। उन्होंने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुत्ते के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन लगाने के लिए तीन पैमाने बनाए हैं। इसमें पहले चरण में अगर सिर्फ कुत्ते ने जीभ से चाटा है तो उस स्थिति में कोई वैक्सीनेशन नहीं होगा। दूसरी स्थिति में कुत्ते के काटने पर त्वचा पर खरोंच या काटे जाने का निशान है तो उस स्थिति में एंटी रेबीज वैक्सीनेशन लगेगा।
तीसरी स्थिति में अगर कुत्ते के काटने से संबंधित जगह पर खून का रिसाव और जख्म हो गया है तो उसमें एंटी रेबीज वैक्सीनेशन और एंटी रेबीज सीरम लगाया जाएगा। वैक्सीनेशन देने के बाद संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबॉडी बनती है। इसमें आठ से दस दिन लगते है। एंटी रेबीज सीरम घाव में डाला और लगाया जाता है। इसका तुरंत प्रभाव होता है। सीरम सिर्फ एक बार लगता है। जबकि एंटी रेबीज वैक्सीनेशन की चार डोज लगती है। पहली डोज शून्य से एक दिन के बीच में, दूसरे डोज शून्य से तीन दिन में, तीसरी डोज शून्य से सात दिन के अंदर और आखिरी डोज शून्य से 28 दिन की अवधि में लगती है। रेबीज से बचाव के लिए सभी डोज जरूरी है। वरना वैक्सीनेशन अधूरा माना जाएगा और रेबीज होने की संभावना बनी रहेगी। अगर किसी को रेबीज होता है तो उसकी मौत निश्चित है।
पालतू कुत्ते के काटने पर भी वैक्सीनेशन जरूरी
उन्होंने कहा कि अगर किसी को कोई पालतू कुत्ता भी काट ले तो उस स्थिति में भी एंटी रेबीज वैक्सीनेशन जरूरी है। इस संबंध में दिशा-निर्देश हैं। अक्सर लोग मानते हैं कि पालतू कुत्ते का टीकाकरण हो रखा है। लेकिन उस टीकाकरण की प्रतिरोधक क्षमता कितनी असरदार और किस गुणवत्ता का टीकाकरण कुत्ते का कराया गया वह जरूरी है। ऐसे में पालतू कुत्ते के काटने पर भी सौ फीसदी टीकाकरण सुनिश्चित करें।
अस्पताल में बना है डॉग बाइट क्लीनिक
स्वामी दयानंद अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि टीकाकरण के लिए अस्पताल में डॉग बाइट क्लीनिक बना है। इसमें रोजाना 150 के आसपास लोग टीकाकरण के लिए आते है। ज्यादातर लावारिस कुत्ते के काटने का शिकार होते है। कुत्ता काटने के 24 घंटे के अंदर टीकाकरण जरूरी है। कुत्ते के काटने पर हुए जख्म पर मिर्च और तेल बिल्कुल न लगाएं।
डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के एंटी रेबीज वैक्सीनेशन सेंटर के प्रभारी डॉ. देबाशीष परमार ने बताया, अस्पताल में रोजाना 150-200 लोग कुत्ते के काटने के बाद टीकाकरण के लिए आते हैं। इनमें ज्यादातर 14 साल से कम उम्र के बच्चे और युवा शामिल होते हैं। उन्होंने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुत्ते के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन लगाने के लिए तीन पैमाने बनाए हैं। इसमें पहले चरण में अगर सिर्फ कुत्ते ने जीभ से चाटा है तो उस स्थिति में कोई वैक्सीनेशन नहीं होगा। दूसरी स्थिति में कुत्ते के काटने पर त्वचा पर खरोंच या काटे जाने का निशान है तो उस स्थिति में एंटी रेबीज वैक्सीनेशन लगेगा।
तीसरी स्थिति में अगर कुत्ते के काटने से संबंधित जगह पर खून का रिसाव और जख्म हो गया है तो उसमें एंटी रेबीज वैक्सीनेशन और एंटी रेबीज सीरम लगाया जाएगा। वैक्सीनेशन देने के बाद संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबॉडी बनती है। इसमें आठ से दस दिन लगते है। एंटी रेबीज सीरम घाव में डाला और लगाया जाता है। इसका तुरंत प्रभाव होता है। सीरम सिर्फ एक बार लगता है। जबकि एंटी रेबीज वैक्सीनेशन की चार डोज लगती है। पहली डोज शून्य से एक दिन के बीच में, दूसरे डोज शून्य से तीन दिन में, तीसरी डोज शून्य से सात दिन के अंदर और आखिरी डोज शून्य से 28 दिन की अवधि में लगती है। रेबीज से बचाव के लिए सभी डोज जरूरी है। वरना वैक्सीनेशन अधूरा माना जाएगा और रेबीज होने की संभावना बनी रहेगी। अगर किसी को रेबीज होता है तो उसकी मौत निश्चित है।
पालतू कुत्ते के काटने पर भी वैक्सीनेशन जरूरी
उन्होंने कहा कि अगर किसी को कोई पालतू कुत्ता भी काट ले तो उस स्थिति में भी एंटी रेबीज वैक्सीनेशन जरूरी है। इस संबंध में दिशा-निर्देश हैं। अक्सर लोग मानते हैं कि पालतू कुत्ते का टीकाकरण हो रखा है। लेकिन उस टीकाकरण की प्रतिरोधक क्षमता कितनी असरदार और किस गुणवत्ता का टीकाकरण कुत्ते का कराया गया वह जरूरी है। ऐसे में पालतू कुत्ते के काटने पर भी सौ फीसदी टीकाकरण सुनिश्चित करें।
अस्पताल में बना है डॉग बाइट क्लीनिक
स्वामी दयानंद अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि टीकाकरण के लिए अस्पताल में डॉग बाइट क्लीनिक बना है। इसमें रोजाना 150 के आसपास लोग टीकाकरण के लिए आते है। ज्यादातर लावारिस कुत्ते के काटने का शिकार होते है। कुत्ता काटने के 24 घंटे के अंदर टीकाकरण जरूरी है। कुत्ते के काटने पर हुए जख्म पर मिर्च और तेल बिल्कुल न लगाएं।