जन्माष्टमी पर इन बातों का रखें ध्यान, सभी मनोकामनाएं होगी पूरी

 जन्माष्टमी पर इन बातों का रखें ध्यान, सभी मनोकामनाएं होगी पूरी
नई दिल्ली। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की भक्ति और पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन पूजा में कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी है। जिससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर वर्ष भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र होता है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन की पूजा और भक्ति से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर की जाने वाली पूजा में कुछ खास नियम और विधियां होती हैं, जिनका पालन करने से पूजा का प्रभाव बढ़ जाता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
इस दिन व्रत रखना, भगवान की प्रतिमा या चित्र की आराधना करना, और श्रद्धा से भजन-कीर्तन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। साथ ही पूजा के दौरान शुद्धता और सादगी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जन्माष्टमी के ये नियम न केवल पूजा को सफल बनाते हैं, बल्कि मन और आत्मा को शुद्ध कर अगले साल तक सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं। ऐसे में इन नियमों का सही तरीके से पालन करना हर भक्त के लिए जरूरी है।
बालगोपाल पर न चढ़ाएं मुरझाए हुए फूल
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान बालगोपाल की पूजा करते समय ध्यान रखें कि आप कभी भी मुरझाए हुए, सूखे या बासी फूल चढ़ाएं नहीं। फूल भगवान् की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और ताजगी उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाती है। यदि आप मुरझाए फूल चढ़ाते हैं, तो यह अपमान समझा जाता है और भगवान को यह पसंद नहीं आता। इसके अतिरिक्त, अगस्त के फूल, जिन्हें सेसबानिया ग्रैंडिफ्लोरा कहते हैं, भगवान कृष्ण को विशेष रूप से अप्रिय हैं। इसलिए, इन फूलों का उपयोग जन्माष्टमी की पूजा में बिल्कुल न करें।
गाय को न सताएं
भगवान श्रीकृष्ण का गायों से बहुत गहरा प्रेम और लगाव है। वे स्वयं एक ग्वाल (गाय चराने वाले) थे और गायों को अपना माता-पिता समान मानते थे। जन्माष्टमी के दिन गोवंश की सेवा करना, उनका सम्मान करना और कभी भी उनका अपमान या सत्कार न करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यदि इस दिन गायों को सताया या परेशान किया गया, तो पूजा और व्रत का फल अधूरा रह सकता है। इसके अलावा, ऐसी क्रिया से भगवान कृष्ण नाराज हो सकते हैं, जिससे भक्त को उनकी कृपा प्राप्त नहीं होती। इसलिए जन्माष्टमी के दिन गोवंश की रक्षा और सेवा करें।
तुलसी की पत्तियां न तोड़ें
तुलसी का पौधा भगवान् विष्णु और उनके अवतार कृष्ण की अति प्रिय वनस्पति है। इसलिए जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पौधे की पत्तियां तोड़ना वर्जित होता है। पूजा में तुलसी की पत्तियां इस्तेमाल करने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर साफ-सुथरा और ताजा रख लेना चाहिए। तुलसी के प्रति सम्मान भाव रखने से भगवान की प्रसन्नता होती है और पूजा का फल बढ़ता है।
पीले वस्त्र पहनें
बालगोपाल को पीले रंग के वस्त्र पहनाना शुभ माना जाता है क्योंकि पीला रंग आनंद, उल्लास और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसी कारण जन्माष्टमी के दिन स्वयं और पूरे परिवार के सदस्य पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके विपरीत, काले रंग के वस्त्र पहनना इस दिन अशुभ माना जाता है और इससे पूजा की सफलता पर असर पड़ सकता है। इस प्रकार पीले वस्त्र पहनकर आप पूजा में एकाग्रता और भक्तिभाव बढ़ा सकते हैं।
चावल, प्याज, लहसुन आदि न खाएं
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को चावल, प्याज, लहसुन और अन्य तीखे तथा भारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शरीर और मन दोनों को शुद्ध रखना आवश्यक है। अधिक से अधिक ताजे फल, हल्का भोजन और जल का सेवन करें। साथ ही अपने मन को भी बुरे विचारों से दूर रखें, क्योंकि शुद्ध मन से की गई पूजा में भगवान की कृपा अधिक होती है।
बुजुर्गों का सम्मान करें
घर के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करना सभी पर्वों में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जन्माष्टमी के दिन यह और भी ज़्यादा आवश्यक हो जाता है। यदि इस दिन किसी भी तरह से बड़े-बुजुर्गों का अपमान होता है तो व्रत का फल अधूरा रह जाता है और बालगोपाल की कृपा नहीं मिलती। इसलिए प्रयास करें कि पूजा का नेतृत्व घर के बड़े सदस्य ही करें और परिवार के सभी सदस्य उनका सम्मान करें। इससे घर में सुख-शांति और भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है।