सुप्रीम कोर्ट में आज बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई
- दिल्ली बिहार राष्ट्रीय
Political Trust
- August 12, 2025
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नई दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट में बिहार में मतदाता सूचियों की एसआईआर के निर्वाचन आयोग के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी। कोर्ट ने 12 और 13 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय की थी। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कानून के तहत उसे मसौदा सूची से गायब लोगों के नामों की अलग सूची बनाने की जरूरत नहीं है। न ही सूची साझा करने या किसी कारण से उनके नाम शामिल न होने के कारणों को प्रकाशित करने की जरूरत है।
‘विपक्ष सिर्फ संसद में और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा’
इससे पहले निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि विपक्ष सिर्फ संसद में और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है। नियमों के तहत बिहार में एसआईआर के बाद जारी मसौदा मतदाता सूची को लेकर अब तक एक भी आपत्ति नहीं आई है। 11 दिन बाद भी किसी पार्टी की ओर से नाम हटाने या जोड़ने के लिए कोई भी आवेदन नहीं आया।
एसआईआर के गणना के अहम निष्कर्ष
चुनाव आयोग ने कहा कि अब तक सूची में नाम शामिल करने के लिए व्यक्तिगत मतदाताओं से 10,570 फॉर्म प्राप्त हुए हैं। आयोग ने सोमवार को बिहार में 24 जून से 25 जुलाई तक हुए एसआईआर के गणना चरण के प्रमुख निष्कर्ष जारी किए। इनके अनुसार 24 जून तक बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता थे, जिनमें से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किए हैं। यह कुल मतदाताओं का 91.69 फीसदी है। इस अवधि में 22 लाख मतदाता मृत पाए गए हैं, 36 लाख मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित हुए या पाए नहीं गए। वहीं, सात लाख मतदाता (0.89 फीसदी) ऐसे थे, जो कई स्थानों पर नामांकित थे।
इससे पहले निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि विपक्ष सिर्फ संसद में और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है। नियमों के तहत बिहार में एसआईआर के बाद जारी मसौदा मतदाता सूची को लेकर अब तक एक भी आपत्ति नहीं आई है। 11 दिन बाद भी किसी पार्टी की ओर से नाम हटाने या जोड़ने के लिए कोई भी आवेदन नहीं आया।
एसआईआर के गणना के अहम निष्कर्ष
चुनाव आयोग ने कहा कि अब तक सूची में नाम शामिल करने के लिए व्यक्तिगत मतदाताओं से 10,570 फॉर्म प्राप्त हुए हैं। आयोग ने सोमवार को बिहार में 24 जून से 25 जुलाई तक हुए एसआईआर के गणना चरण के प्रमुख निष्कर्ष जारी किए। इनके अनुसार 24 जून तक बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता थे, जिनमें से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किए हैं। यह कुल मतदाताओं का 91.69 फीसदी है। इस अवधि में 22 लाख मतदाता मृत पाए गए हैं, 36 लाख मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित हुए या पाए नहीं गए। वहीं, सात लाख मतदाता (0.89 फीसदी) ऐसे थे, जो कई स्थानों पर नामांकित थे।