AI तकनीक से दंपति को अब घर में मिलेगी IVF सुविधा, जाने कैसे
- दिल्ली राष्ट्रीय स्वास्थ्य
Political Trust
- July 26, 2025
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दिल्ली। AI तकनीक से अब निसंतान दंपति को घर में IVF की सुविधा मिलेगी। नई तकनीक की मदद से संतान चाहने वाली महिला और पुरुष दोनों की जांच उनके घर पर की जाएगी। ऐसा होने पर उनके आने-जाने का समय बच जाता है। साथ ही वह लोग भी इस सुविधा का लाभ उठा पाते हैं जो नौकरी व दूसरे कारणों से केंद्र पर नहीं आ पाए।
आईवीएफ की मदद से संतान की इच्छा रखने वाले युगल को अब लंबे समय तक आईवीएफ केंद्रों में समय गुजारने की आवश्यकता नहीं रहेगी। वह घर बैठे भी आईवीएफ की सुविधा ले सकेंगे। महिला को केवल एग निकलवाने और भ्रूण को डलवाने के लिए ही संस्थान में आना होगा। बाकी सभी प्रक्रिया वह घर बैठे भी करवा सकेंगी। इस सुविधा के लिए निजी आईवीएफ केंद्रों ने एआई तकनीक विकसित की है।
नई तकनीक की सहायता से संतान चाहने वाली महिला और पुरुष दोनों की जांच उनके घर पर की जाती है। ऐसा होने पर उनके आने-जाने का समय बच जाता है। साथ ही वह लोग भी इस सुविधा का लाभ उठा पाते हैं जो नौकरी व दूसरे कारणों से केंद्र पर नहीं आ पाए।
इस एआई तकनीक के बारे में चिकित्सकों का कहना कि महानगर व छोटे शहरों में रहने वाले युगल कई कारणों से केंद्र पर समय पर नहीं आ पाते जिस कारण उनकी प्रकिया पूरी नहीं हो पाती। लंबे समय तक बाधित होने के कारण आईवीएफ फेल होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
इसी समस्या को देखते हुए होम आईवीएफ की सुविधा को शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से बिहार के पश्चिम चंपारण में रहने वाली एक युवती ने बच्चों को जन्म भी दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों का जेनेटिक जांच भी किया जाता है जिससे भविष्य में होने वाले किसी भी रोग को पहले ही दूर कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड के अनुसार, भारत की प्रजनन दर घटकर 1.9 रह गई है जो रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 से कम है। यह बदलाव देश में गहरे सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी संकट को दर्शाता है। शहरों में आईवीएफ को लेकर जागरूकता जरूर बढ़ी है लेकिन इलाज तक पहुंच आज भी असमान है।
नई तकनीक की सहायता से संतान चाहने वाली महिला और पुरुष दोनों की जांच उनके घर पर की जाती है। ऐसा होने पर उनके आने-जाने का समय बच जाता है। साथ ही वह लोग भी इस सुविधा का लाभ उठा पाते हैं जो नौकरी व दूसरे कारणों से केंद्र पर नहीं आ पाए।
इस एआई तकनीक के बारे में चिकित्सकों का कहना कि महानगर व छोटे शहरों में रहने वाले युगल कई कारणों से केंद्र पर समय पर नहीं आ पाते जिस कारण उनकी प्रकिया पूरी नहीं हो पाती। लंबे समय तक बाधित होने के कारण आईवीएफ फेल होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
इसी समस्या को देखते हुए होम आईवीएफ की सुविधा को शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से बिहार के पश्चिम चंपारण में रहने वाली एक युवती ने बच्चों को जन्म भी दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों का जेनेटिक जांच भी किया जाता है जिससे भविष्य में होने वाले किसी भी रोग को पहले ही दूर कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड के अनुसार, भारत की प्रजनन दर घटकर 1.9 रह गई है जो रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 से कम है। यह बदलाव देश में गहरे सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी संकट को दर्शाता है। शहरों में आईवीएफ को लेकर जागरूकता जरूर बढ़ी है लेकिन इलाज तक पहुंच आज भी असमान है।