SIR के तहत बिहार में नई वोटर लिस्ट के तहत 64 लाख मतदाताओं का नाम कटना तय
- बिहार राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- July 26, 2025
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Nimmi thakur
पटना। बिहार में चल रहे SIR के तहत नई वोटर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया के साथ अब अगले महीने अगस्त से देश के सभी राज्यों की नई वोटर लिस्ट बनाने के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का काम शुरू होगा। सूत्रों की माने तो इसके लिए तारीख की घोषणा 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद की जाएगी। इस बीच बिहार में बन रही नई वोटर लिस्ट के लिए 7.23 करोड़ यानी 99.86% वोटर कवर किए जा चुके हैं। आयोग ने दिए आंकड़ों में बताया है कि नई वोटर लिस्ट से 7.89 करोड़ से अधिक मतदाताओं वाली पुरानी लिस्ट से 64 लाख मतदाताओं का नाम कटना तय हैं। जितने मतदाता के फॉर्म वापस नहीं होंगे, उनके नाम इस डिलीट वाली लिस्ट में जोड़े जाएंगे। जितने लोगों ने अभी तक अपने-अपने एनुमरेशन फॉर्म जमा कराए हैं। इनमें से अगर कुछ घुसपैठिए पाए गए तो उनका नाम भी लिस्ट से काट दिया जाएगा।मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ किया है कि अगर कोई असली मतदाता छूट भी गया तो चिंता मत कीजिए।
ऐसा कोई भी मतदाता एक सितंबर तक अपना एनुमरेशन फॉर्म भरकर जरूरी प्रक्रिया पूरी करते हुए जमा करा सकता है। उनका नाम वोटर लिस्ट में जरूर जोड़ा जाएगा। आयोग ने किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बिना प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि क्या चुनाव आयोग द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा तैयार की जा रही शुद्ध मतदाता सूची, निष्पक्ष चुनाव और एक सशक्त जनतंत्र के लिए नींव का पत्थर नहीं है? इन प्रश्नों पर हम सभी को मिलकर, राजनीतिक विधारधाराओं से परे जाकर गहन चिंतन करना ही होगा।
जानिए क्या है Special Intensive Revision?
चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता सूची को पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर उसका पुनरीक्षण करना जरूरी होता है। अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है। आयोग ने बीते दिन SIR पर हो रहे विरोध पर जवाब देते हुए इसका महत्व समझाया था। आयोग ने कहा था, आयोग ने कहा कि “भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है….तो क्या इन बातों से डरकर, निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर, संविधान के खिलाफ जाकर, पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, मृतक मतदाताओं, स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं, दो स्थानों पर वोट दर्ज कराने वाले मतदाताओं, फर्जी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?”चुनाव आयोग ने बीती 24 जून को ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया था और कहा था कि संवैधानिक कर्तव्य के तहत और मतदाता सूची की अखंडता और सुरक्षा के लिए यह मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का काम किया जाएगा।
ऐसा कोई भी मतदाता एक सितंबर तक अपना एनुमरेशन फॉर्म भरकर जरूरी प्रक्रिया पूरी करते हुए जमा करा सकता है। उनका नाम वोटर लिस्ट में जरूर जोड़ा जाएगा। आयोग ने किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बिना प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि क्या चुनाव आयोग द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा तैयार की जा रही शुद्ध मतदाता सूची, निष्पक्ष चुनाव और एक सशक्त जनतंत्र के लिए नींव का पत्थर नहीं है? इन प्रश्नों पर हम सभी को मिलकर, राजनीतिक विधारधाराओं से परे जाकर गहन चिंतन करना ही होगा।
जानिए क्या है Special Intensive Revision?
चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता सूची को पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर उसका पुनरीक्षण करना जरूरी होता है। अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है। आयोग ने बीते दिन SIR पर हो रहे विरोध पर जवाब देते हुए इसका महत्व समझाया था। आयोग ने कहा था, आयोग ने कहा कि “भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है….तो क्या इन बातों से डरकर, निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर, संविधान के खिलाफ जाकर, पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, मृतक मतदाताओं, स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं, दो स्थानों पर वोट दर्ज कराने वाले मतदाताओं, फर्जी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?”चुनाव आयोग ने बीती 24 जून को ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया था और कहा था कि संवैधानिक कर्तव्य के तहत और मतदाता सूची की अखंडता और सुरक्षा के लिए यह मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का काम किया जाएगा।