भारत की विकास यात्रा के केंद्र में शिक्षा होनी चाहिए: हरदीप सिंह पुरी

शिक्षा के अधिकार के बाद साक्षरता, नामांकन और स्कूल अवसंरचना में ऐतिहासिक प्रगति
Political Trust- नई दिल्ली “देश की प्रगति के केंद्र में शिक्षा होनी चाहिए,” यह बात पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कही।
संगोष्ठी का विषय था: “भारत में स्कूली शिक्षा: सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण और समान पहुंच की दिशा में।”
पुरी ने कहा कि भारत को $4 ट्रिलियन से $35 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की यात्रा शिक्षा पर ही आधारित है। उन्होंने 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाए जाने और 2009 में RTE कानून लागू होने को शिक्षा सुधार का बड़ा मील का पत्थर बताया।
उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि:
युवा साक्षरता दर 97% तक पहुंची।
प्राथमिक नामांकन 84% से बढ़कर 96%, उच्च प्राथमिक 62% से 90% हुआ।
शिक्षक-छात्र अनुपात 42:1 से सुधरकर 24:1 हुआ।
अलग बालिका शौचालय वाले स्कूल 91% और बिजली युक्त स्कूल 86% तक बढ़े।
ड्रॉपआउट दर 9.1% से घटकर 1.5% हुई।
स्वतंत्रता के समय साक्षरता दर 17% थी, जो अब करीब 80% हो चुकी है।
पुरी ने कहा कि शिक्षा को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से ही भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभ को प्राप्त कर सकेगा।
इस अवसर पर उन्होंने प्रो. मुचकुंद दुबे की स्मृति में स्थापित मुचकुंद दुबे सेंटर फॉर राइट टू एजुकेशन के पहले कार्यक्रम का उद्घाटन किया और उन्हें एक विद्वान, कूटनीतिज्ञ और शिक्षा के पक्षधर के रूप में याद किया।