ब्याज दर घटने के बाद भी लोन देने में सावधानी बरत रहे बैंक

 ब्याज दर घटने के बाद भी लोन देने में सावधानी बरत रहे बैंक
 ये है वजह?
New Delhi-ब्याज दर घटने के बाद भी बैंक लोन देने में सावधानी बरत रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा फरवरी से अभी तक रीपो दर में 100 आधार अंक की कटौती की गई है। इसके बावजूद भी बैंकों में लोन वृद्धि अभी नहीं बढ़ी है।
कुछ दिनों पहले उच्च रेटिंग वाले एक सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) को सरकारी बैंक से 6.10 फीसदी की दर पर 1,000 करोड़ रुपये का अल्पकालिक कर्ज मिला। आम तौर पर उच्च रेटिंग वाली कंपनियों को अच्छी डील मिल जाती है मगर इससे कई लोगों को आश्चर्य हुआ क्योंकि इतनी कम दर से शायद ही कोष की लागत की भरपाई हो पाएगी। अल्पकालिक दरें इतनी कम होने की वजह बैंकिंग तंत्र में तरलता अधिशेष है जो जून की शुरुआत से औसतन 3 लाख करोड़ रुपये थी और कुछ दिनों में 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई। जून में कर भुगतान के लिए कम निकासी के साथ ही सरकारी खर्च बढ़ने से बैंकिंग तंत्र में नकदी बढ़ी है।
अगले कुछ महीनों में भी तरलता अधिशेष रहने की उम्मीद है क्योंकि बैंकों की नकद आरक्षित अनुपात आवश्यकता भी चरणबद्ध तरीके से 100 आधार अंक कम की गई है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि नकद आरक्षित अनुपात में कटौती से नवंबर-दिसंबर तक तरलता का स्तर 5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा फरवरी से अभी तक रीपो दर में 100 आधार अंक की कटौती के बावजूद बैंकों में ऋण वृद्धि अभी नहीं बढ़ी है। 13 जून को समाप्त पखवाड़े में ऋण वृद्धि 9.6 फीसदी तक घट आई थी, जो एक साल पहले समान अवधि में 19.1 फीसदी थी।
एक रिपोर्ट में कहा, ‘मौद्रिक नीति में ढील के बावजूद बैंक में कर्ज मांग की वृद्धि धीमी बनी हुई है। हालांकि इसके लिए उच्च आधार पर जिम्मेदार ठहराया जा सकता है मगर पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बैंक ऋण प्रवाह भी कम हो गया है। कर्ज के लिए गैर-बैंक स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़ने से भी बैंक ऋण वृद्धि में कम आई है।’
ऋण उठाव में सुस्त वृद्धि ने बैंक अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। हाल ही में बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों के साथ एक बातचीत में वित्त मंत्रालय ने देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ऋण वृद्धि को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। वित्त वर्ष 2025 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 फीसदी बढ़ा, जो कोविड-19 महामारी के बाद सबसे धीमी वृद्धि है।