ब्रिक्स समिट में पीएम मोदी ने कहा-‘ 20वीं सदी में बनी वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं’
- राजनीति राष्ट्रीय विदेश
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- July 7, 2025
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ब्रासीलिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे के चौथे चरण में ब्राजील पहुंचे। पीएम मोदी यात्रा के अंतिम चरण में नामीबिया जाएंगे। ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री मोदी शामिल हुए हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मानदंडों का शिकार रहा है। चाहे विकास की बात हो, संसाधनों के वितरण की बात हो या सुरक्षा मुद्दों की, ग्लोबल साउथ के हितों को प्राथमिकता नहीं दी है। जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी पहुंच जैसे मुद्दों पर ग्लोबल साउथ को अक्सर सिर्फ औपचारिक इशारे ही मिले हैं’। पीएम मोदी ने आगे कहा ’20वीं सदी में बनी वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं। चाहे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्ष हों, महामारी हो, आर्थिक संकट हो या साइबरस्पेस में नई उभरती चुनौतियां हों, इन संस्थाओं के पास कोई समाधान नहीं है’।
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, ‘आज दुनिया को एक नई, बहुध्रुवीय और समावेशी विश्व व्यवस्था की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थाओं में व्यापक सुधारों से करनी होगी। सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका वास्तविक प्रभाव भी दिखना चाहिए।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ’20वीं सदी में गठित वैश्विक संस्थाओं में मानवता के दो तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले देशों को निर्णय लेने वाली मेज पर जगह नहीं दी गई है। यह केवल प्रतिनिधित्व का सवाल नहीं है, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है। ग्लोबल साउथ के बिना ये संस्थाएं सिम कार्ड वाले मोबाइल की तरह लगती हैं, लेकिन नेटवर्क नहीं।’ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘एआई के युग में, जहां हर हफ्ते तकनीक अपडेट होती है, यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई वैश्विक संस्थान 80 साल में एक बार भी अपडेट न हो। 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते’।
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, ‘आज दुनिया को एक नई, बहुध्रुवीय और समावेशी विश्व व्यवस्था की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थाओं में व्यापक सुधारों से करनी होगी। सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका वास्तविक प्रभाव भी दिखना चाहिए।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ’20वीं सदी में गठित वैश्विक संस्थाओं में मानवता के दो तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले देशों को निर्णय लेने वाली मेज पर जगह नहीं दी गई है। यह केवल प्रतिनिधित्व का सवाल नहीं है, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है। ग्लोबल साउथ के बिना ये संस्थाएं सिम कार्ड वाले मोबाइल की तरह लगती हैं, लेकिन नेटवर्क नहीं।’ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘एआई के युग में, जहां हर हफ्ते तकनीक अपडेट होती है, यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई वैश्विक संस्थान 80 साल में एक बार भी अपडेट न हो। 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते’।