अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत से संबंधित बड़े खतरे प्रभावित कर रहे मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली

 अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत से संबंधित बड़े खतरे प्रभावित कर रहे मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली
New Delhi- नासा को अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत से संबंधित बड़े खतरे मिले हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ये खतरे न केवल मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं बल्कि मनोवैज्ञानिक संतुलन और शरीर की जैविक कार्यप्रणाली को भी झकझोरते हैं। नासा के मानव अनुसंधान कार्यक्रम के तहत 150 से अधिक अंतरिक्ष मिशन संबंधी अध्ययनों का विश्लेषण किया गया।
नासा ने एक महत्वपूर्ण शोध के जरिये अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों की पहचान की है। इस अध्ययन में पांच प्रमुख खतरों को नासा ने सामूहिक रूप विकिरण (रेडिएशन), अकेलापन (आइसोलेशन), गुरुत्वाकर्षण में बदलाव (ग्रेविटी चेंज), दूरी (डिस्टेंस) और प्रतिकूल वातावरण (होस्टाइल एनवायरनमेंट) यानी सामूहिक रूप से इन्हें रिज (आरआईजी डीई)के नाम से चिन्हित किया है।
विशेषज्ञों के अनुसार ये कारक न केवल मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं बल्कि मनोवैज्ञानिक संतुलन और शरीर की जैविक कार्यप्रणाली को भी झकझोरते हैं। नासा के मानव अनुसंधान कार्यक्रम के तहत 150 से अधिक अंतरिक्ष मिशन संबंधी अध्ययनों का विश्लेषण किया गया। जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने वाले यात्रियों के मस्तिष्क की कार्यप्रणाली, सोचने की क्षमता, मूड और प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं।
अंतरिक्ष विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी अपने मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की तैयारी कर रहा है। ऐसे में नासा की यह रिपोर्ट इसरो के लिए भी मार्गदर्शक बन सकती है, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और सेहत को लेकर रणनीति तैयार की जा सके।