आईटीआर फाइल करते समय कमाई छिपाना पड़ेगा भारी, देना पड़ जाएगा 200% तक जुर्माना
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- July 3, 2025
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नई दिल्ली। अगर करदाता (Taxpayers) अपनी आय छिपाता है, आय के स्रोत नहीं बताता या गलत तरीके से टैक्स छूट का दावा करता है, तो उसे भारी जुर्माना या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। चाहे यह गलती अनजाने में हो या जानबूझकर की गई हो, आयकर विभाग के पास गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए एक मजबूत सिस्टम और सख्त दंड लगाने या मुकदमा चलाने का कानूनी प्रावधान मौजूद है। इस बारे में टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि कानून क्या कहता है और करदाताओं को किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
आयकर अधिनियम के अलग-अलग प्रावधानों के तहत जुर्माना इस बात पर निर्भर करता है कि गड़बड़ी किस प्रकार की है:
कम आय दिखाना (सेक्शन 270A): यदि करदाता ने अपनी आय कम दिखाई है, तो उस अतिरिक्त आय पर देय टैक्स का 50% जुर्माने के रूप में देना पड़ सकता है।
गलत जानकारी देना (सेक्शन 270A): अगर कोई करदाता जानबूझकर गलत जानकारी देता है, जैसे फर्जी बिल या झूठे दावे करता है, तो उस आय पर देय टैक्स का 200% जुर्माना लगाया जा सकता है।
आयकर अधिनियम के अलग-अलग प्रावधानों के तहत जुर्माना इस बात पर निर्भर करता है कि गड़बड़ी किस प्रकार की है:
कम आय दिखाना (सेक्शन 270A): यदि करदाता ने अपनी आय कम दिखाई है, तो उस अतिरिक्त आय पर देय टैक्स का 50% जुर्माने के रूप में देना पड़ सकता है।
गलत जानकारी देना (सेक्शन 270A): अगर कोई करदाता जानबूझकर गलत जानकारी देता है, जैसे फर्जी बिल या झूठे दावे करता है, तो उस आय पर देय टैक्स का 200% जुर्माना लगाया जा सकता है।
आय छिपाना (सेक्शन 271(1)(c)): यह प्रावधान पुराने असेसमेंट वर्षों (वित्त वर्ष 2016-17 से पहले) के लिए लागू होता है। इसमें बचाए गए टैक्स का 100% से लेकर 300% तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
अस्पष्ट निवेश (सेक्शन 271AAC): यदि कोई निवेश स्पष्ट रूप से घोषित नहीं किया गया है, तो उस पर 60% टैक्स, सर्चार्ज और सेस के साथ-साथ 10% अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाता है।
जानबूझकर टैक्स चोरी (सेक्शन 276C): अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर टैक्स चोरी करता है, तो उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसमें तीन महीने से लेकर सात साल तक की सजा हो सकती है, खासकर तब जब चोरी की गई टैक्स राशि ₹25 लाख से अधिक हो। इसके अलावा धारा 234A, 234B और 234C के तहत भी ब्याज जुर्माना लगता है, जो कि टैक्स रिटर्न देर से भरने, टैक्स की कम अदायगी या अग्रिम कर समय पर नहीं देने के मामलों में लागू होता है।
जानबूझकर टैक्स चोरी (सेक्शन 276C): अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर टैक्स चोरी करता है, तो उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसमें तीन महीने से लेकर सात साल तक की सजा हो सकती है, खासकर तब जब चोरी की गई टैक्स राशि ₹25 लाख से अधिक हो। इसके अलावा धारा 234A, 234B और 234C के तहत भी ब्याज जुर्माना लगता है, जो कि टैक्स रिटर्न देर से भरने, टैक्स की कम अदायगी या अग्रिम कर समय पर नहीं देने के मामलों में लागू होता है।