उत्तराखंड की आंचलिक बोली-भाषा की कक्षाओं में वरिष्ठ पत्रकार दीप सिलोड़ी का आह्वान

 उत्तराखंड की आंचलिक बोली-भाषा की कक्षाओं में वरिष्ठ पत्रकार दीप सिलोड़ी का आह्वान

सी एम पपनै

नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर के
52 सेंटरों में उत्तराखंड की कुमाऊनी और गढ़वाली बोली-भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन हेतु उत्तराखंड लोक साहित्य मंच एवं डीपीएमआई के सहयोग से चलाईं जा रही ग्रीष्मकालीन कक्षाओं में 29 जून को सत्य पब्लिक स्कूल संगम बिहार में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार दीप सिलोड़ी द्वारा अंचल की बोली-भाषाओं व पारंपरिक लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु दिल्ली एनसीआर के प्रवासी जनों से एकजुट होकर आगे आकर बोली-भाषाओं और उत्तराखंड की लोकसंस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु आह्वान किया गया।

दिल्ली एनसीआर के विभिन्न स्थानों में चलायमान उक्त कक्षाओं के इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार दीप सिलोड़ी द्वारा बच्चों को बोली-भाषा के साथ-साथ अंचल की पारंपरिक लोक संस्कृति तथा पत्रकारिता के महत्व पर विचार व्यक्त कर, बच्चों का ज्ञानवर्धन किया गया, बच्चों को अंचल की बोली-भाषा और लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु जागरूक किया गया।

उत्तराखंड संगम समाज संगठन से जुड़े पदाधिकारियों द्वारा उपस्थित अन्य स्थानीय गणमान्य जनों की प्रभावी उपस्थिति में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार दीप सिलोड़ी का भव्य स्वागत अभिनन्दन फूलमाला पहना कर व शॉल ओढ़ा कर किया गया।

वरिष्ठ पत्रकार दीप सिलोड़ी द्वारा चल रही कक्षाओं के इस अवसर पर सभी सामाजिक संगठनों के साथ उत्तराखंड लोक साहित्य मंच एवं डी पी एम आई चेयरमैन डॉ विनोद बछेती के प्रति आभार व्यक्त कर कहा गया, उक्त जनों के सहयोग से चलायमान कक्षाओं की इस मुहीम की बदौलत दिल्ली एनसीआर की प्रवासी युवा पीढ़ी अपनी बोली-भाषा से जुड़ती दिखाई दे रही है, जो उत्तराखंड के प्रवासी समाज को सकून देती नजर आ रही है। उत्तराखंड के प्रवासी जन बोली-भाषा की इस मुहिम के साथ बड़ी संख्या में जुड़ना चाहते हैं, जिसकी पुष्टि चल रही कक्षाओं का नजारा व प्रवासी जन की भावनाओं को देख की जा सकती है।

वरिष्ठ पत्रकार द्वारा कहा गया, दिल्ली एनसीआर के विभिन्न स्थानों पर निष्ठा पूर्वक करीब 52 सेंटरों में उक्त कक्षाएं चल रही हैं जिनमें हजारों बच्चे बोली-भाषा सीख ज्ञानवर्धन कर रहे हैं, अपनी लोक संस्कृति से भी रूबरू हो रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार दीप सिलोड़ी द्वारा कहा गया, मीडिया के विभिन्न माध्यमों से निरंतर दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत उत्तराखंड के प्रवासियों के कार्यों के साथ-साथ अंचल की लोक संस्कृति और बोली-भाषा के संवर्धन हेतु अनेकों अंचल के मीडिया कर्मी निष्ठा पूर्वक कार्य व सहयोग कर रहे है। अंचल के प्रवासियों और गठित संगठनों की आवाज को संबंधित विभागो और स्थापित सरकारों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अंचल के मीडिया कर्मियों द्वारा यह क्रम निरंतर जारी रहेगा, विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है। अवगत कराया गया, मीडिया के विभिन्न माध्यमों से अंचल की लोककला व लोक संस्कृति को आंचलिक फिल्म व रंगमंच से जुड़े कलाकारों के साथ तालमेल बिठा कर सामाजिक संगठनों के मध्य अंचल की पारंपरिक संस्कृति को संजोने का कार्य किया जा रहा है। साथ ही अंचल के प्रवासी समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।