जाति जनगणना और 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पर ऐतिहासिक पुनर्विचार की आवश्यकता – राहुल गांधी

 जाति जनगणना और 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पर ऐतिहासिक पुनर्विचार की आवश्यकता – राहुल गांधी

Political  Trust-दिल्ली भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय की बहस को नई दिशा देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक महत्वपूर्ण वक्तव्य में कहा कि भारत में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा जातीय असमानता को बनाए रखने वाली “दीवार” है, जिसे अब तोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह सीमा उस समय तय की गई थी जब देश में जाति आधारित जनगणना और वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति का व्यापक डेटा उपलब्ध नहीं था।

राहुल गांधी ने तेलंगाना का उदाहरण देते हुए बताया कि वहाँ जाति जनगणना के बाद मुख्यमंत्री ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को तोड़ने का निर्णय लिया क्योंकि “डेटा देखने के बाद कोई च्वाइस ही नहीं बची थी”। उन्होंने आश्वासन दिया कि जहाँ-जहाँ कांग्रेस की सरकार बनेगी, वहाँ इस “50 प्रतिशत की दीवार” को तोड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा, “जाति जनगणना और भारत सरकार के पास मौजूद अन्य सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों को जोड़कर अगर विकास की योजना बनाई जाए, तो यह विकास का एक नया मॉडल होगा — एक पैराडाइम शिफ्ट। यह सोच बिहार से शुरू होगी और पूरे देश में फैलेगी।”

राहुल गांधी ने अपनी बात को ऐतिहासिक संदर्भ में भी रखा। उन्होंने कहा, “ये लड़ाई आज की नहीं, हजारों साल पुरानी है। यह लड़ाई गांधी जी, अंबेडकर, नारायण गुरु, पेरियार, बसवन्ना जैसी विचारधारा की है, जो सत्य, अहिंसा, और समानता में विश्वास रखती है। दूसरी ओर आरएसएस और उसकी सोच है जो इस विचार को लगातार खोखला करने का प्रयास करती रही है।”

उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि, “यह परिवर्तन आप सब के बिना संभव नहीं है। यह आपके डीएनए में है। आप ही वह शक्ति हैं जो इस सामाजिक बदलाव को साकार करेंगी।”

राहुल गांधी ने अंत में कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं है। ये जो लड़ाई है, वह ऐतिहासिक है और हमें विश्वास है कि इस बार भी जीत उस विचार की होगी जो समानता और न्याय की बात करता है।”