आरबीआई की 23 मई को महत्वपूर्ण बैठक में होगा रिस्क बफर का दायरा बढ़ाने पर विचार
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- May 19, 2025
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड ने पिछले सप्ताह अपनी बैठक में आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) की समीक्षा की और आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी है। इस मामले से अवगत कई सूत्रों ने जानकारी दी है। बिमल जालान समिति की सिफारिश के अनुसार मौजूदा बफर केंद्रीय बैंक के बहीखाते का 5.5 से 6.5 फीसदी है। रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को हस्तांतरित किया जाने वाला अधिशेष इस बात पर निर्भर करता है कि केंद्रीय बैंक कितना जोखिम बफर बनाए रखना चाहता है। जोखिम बफर अधिक होने का मतलब साफ है कि सरकार को हस्तांतरित की जाने वाली अधिशेष रकम कम होगी। इसी प्रकार जोखिम बफर कम रहने पर सरकार के लिए अधिशेष रकम अधिक होगी।
एक सूत्र ने कहा, ‘जालान समिति द्वारा सुझाए गए ढांचे ने पिछले पांच साल के दौरान काफी हद तक अच्छा काम किया है। इसका दायरा काफी महत्त्वपूर्ण है। मौजूदा चुनौतियों और उतार-चढ़ाव के मद्देनजर हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि बड़े दायरे के बारे में कैसे सोचा जा सकता है।’ अगली बैठक 23 मई को होगी। उसमें खातों को अंतिम रूप दिया जाएगा और केंद्र की मंजूरी के बाद नई सीमा के आधार पर हस्तांतरण योग्य अधिशेष पर निर्णय लिया जाएगा।
किसी भी वर्ष के लिए हस्तांतरण योग्य अधिशेष की गणना केंद्रीय बैंक द्वारा 2019 में अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे के आधार पर की जाती है। यह ढांचा आरबीआई के मौजूदा आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा करने वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर आधारित है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था कि हर पांच साल बाद इस ढांचे की समीक्षा की जानी चाहिए।
किसी भी वर्ष के लिए हस्तांतरण योग्य अधिशेष की गणना केंद्रीय बैंक द्वारा 2019 में अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे के आधार पर की जाती है। यह ढांचा आरबीआई के मौजूदा आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा करने वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर आधारित है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था कि हर पांच साल बाद इस ढांचे की समीक्षा की जानी चाहिए।
