निफ्टी ने बनाया शानदार रिकॉर्ड, निवेशकों में बढ़ी उम्मीदें
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- May 17, 2025
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नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद शेयर बाजार में तेजी आई है। शेयर बाजार में निवेशकों की आर्थिक असर से जुड़ी चिंताएं रूक गई हैं।
सात महीने में अपने ऊंचे स्तरों पर पहुंचने के एक दिन बाद शुक्रवार को बाजार कमजोरी के साथ बंद हुए हैं। हालांकि निफ्टी ने 4.2 फीसदी की तेजी के साथ सप्ताह का समापन किया। यह 18 अप्रैल के बाद उसकी सबसे शानदार साप्ताहिक बढ़त रही। इस सप्ताह की तेजी को पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम, अमेरिका के साथ व्यापार करार की उम्मीदों और रिजर्व बैंक के दर कटौती करने की संभावना से बढ़ावा मिला।
शुक्रवार को निफ्टी 25,020 पर बंद हुआ जो 42 अंक या 0.17 फीसदी की गिरावट है। सेंसेक्स 200 अंक या 0.24 फीसदी गिरकर 82,331 पर बंद हुआ जिससे उसकी साप्ताहिक बढ़त घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई। सप्ताह की शुरुआत सेंसेक्स और निफ्टी में चार साल से अधिक समय में सबसे बड़ी एक-दिवसीय बढ़त के साथ हुई। बाजार में यह तेजी चार दिनों की लड़ाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद आई। निवेशकों की इसके आर्थिक असर से जुड़ी चिंताएं थम गई हैं।
हालांकि सप्ताह के दौरान मुनाफावसूली से सूचकांकों पर दबाव पड़ा क्योंकि चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ करार होने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के अपना पैसा इन दोनों देशों में ले जाने की आशंका बढ़ गई। सप्ताह के दौरान अमेरिका और चीन ने जवाबी टैरिफ 90 दिन तक रोकने पर सहमति जताई। अमेरिका के चीन से होने वाले आयात पर शुल्क 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने जबकि चीन के शुल्क 125 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने पर सहमति बनी। इस चीन-अमेरिकी सौदे से आशंका बढ़ गई है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत से दूर जा सकते हैं। अप्रैल में भारत वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच सुरक्षित निवेश स्थान के तौर पर उभरा था और उसने विदेशी निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।
शुक्रवार को निफ्टी 25,020 पर बंद हुआ जो 42 अंक या 0.17 फीसदी की गिरावट है। सेंसेक्स 200 अंक या 0.24 फीसदी गिरकर 82,331 पर बंद हुआ जिससे उसकी साप्ताहिक बढ़त घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई। सप्ताह की शुरुआत सेंसेक्स और निफ्टी में चार साल से अधिक समय में सबसे बड़ी एक-दिवसीय बढ़त के साथ हुई। बाजार में यह तेजी चार दिनों की लड़ाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद आई। निवेशकों की इसके आर्थिक असर से जुड़ी चिंताएं थम गई हैं।
हालांकि सप्ताह के दौरान मुनाफावसूली से सूचकांकों पर दबाव पड़ा क्योंकि चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ करार होने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के अपना पैसा इन दोनों देशों में ले जाने की आशंका बढ़ गई। सप्ताह के दौरान अमेरिका और चीन ने जवाबी टैरिफ 90 दिन तक रोकने पर सहमति जताई। अमेरिका के चीन से होने वाले आयात पर शुल्क 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने जबकि चीन के शुल्क 125 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने पर सहमति बनी। इस चीन-अमेरिकी सौदे से आशंका बढ़ गई है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत से दूर जा सकते हैं। अप्रैल में भारत वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच सुरक्षित निवेश स्थान के तौर पर उभरा था और उसने विदेशी निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।