सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, डॉक्टर अपने पर्चे में सिर्फ जेनेरिक दवा ही लिखें

 सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, डॉक्टर अपने पर्चे में सिर्फ जेनेरिक दवा ही लिखें
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि डॉक्टरों को अपने पर्चे में सिर्फ जेनेरिक दवा लिखनी चाहिए। यह अहम फैसला सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे मामले को सुनते हुए दिया है जिसमें दवाओं की मार्केटिंग से जुड़े नियमों को कानूनी रूप बाध्यकारी बनाने की मांग की गई है। फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम की संस्था की यह याचिका 2021 में दाखिल हुई थी।
डोलो 650 को लेकर गंभीर सवाल
कोविड के दौरान डॉक्टरों की तरफ से सबसे ज्यादा लिखी जा रही दवाइयों में से एक डोलो 650 थी। जिस पर गंभीर सवाल उठने को आधार बनाते हुए यह याचिका दाखिल हुई थी। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की संस्था ने दावा किया था कि डोलो 650 में पेरासिटामोल का डोज मरीज की जरूरत से अधिक रखा गया। ऐसा दवा को महंगा बनाने के लिए किया गया। कंपनी ने डॉक्टरों को तरह-तरह के लालच देकर उनसे यही दवा लिखवाई। याचिका में दवा कंपनी की तरफ से डॉक्टरों को उपहार देने और विदेश यात्रा करवाने के लिए 1000 करोड़ रुपए के खर्च करने की बात कही थी।
याचिका में बताया गया था कि सरकार ने यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज बना रखा है, लेकिन इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं बनाया गया है। इस कोड के पैराग्राफ 6 और 7 में दवा कंपनियों को डॉक्टरों और बाकी लोगों को तोहफे बांटने या दूसरे लाभ पहुंचाने से मना किया गया है, लेकिन इस कोड को कानून का रूप नहीं दिया गया है। याचिका जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच में सुनवाई के लिए लगी थी। जिसमें बेंच ने कहा कि अगर पूरे देश में डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य बना दिया जाए तो यह समस्या हल हो जाएगी। जस्टिस मेहता ने कहा, “राजस्थान में यह सरकारी आदेश है कि डॉक्टर पर्चे में किसी ब्रांड नाम की दवा नहीं लिखेंगे। यह आदेश हाई कोर्ट के एक फैसले के आधार पर जारी किया गया।”