जनसरोकारो को समर्पित ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ का नौवां वार्षिक सम्मेलन-2023 सम्पन्न

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। राष्ट्र निर्माण मे पाजिटिव, इंस्पायर्ड और इम्पावर्ड के नारों को प्रधानता के साथ आगे बढ़ा रही, वर्ष 2011 में स्थापित जनसरोकारों को समर्पित ख्याति प्राप्त ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ का नौवां वार्षिक सम्मेलन-2023 का आयोजन ‘मुश्किलों से लड़ो और आगे बढ़ो’ विषय पर 16 दिसंबर को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सी डी देशमुख अडिटोरियम में देश के विभिन्न संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों, वरिष्ठ पत्रकारों, समाज के विभिन्न वर्गो के प्रमुख प्रबुद्ध जनों, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से आई विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मांगल ग्रुपों व श्रमिकों की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित किया गया।
आयोजित स्थापना समारोह का श्रीगणेश फाउंडेशन प्रमुख डाॅ आशुतोष कर्नाटक, फाउंडेशन चेयरमैन आर पी गुप्ता, पर्यावरण विद अनिल प्रकाश जोशी, वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री द्वारा दीप प्रज्वलित कर व सामूहिक रूप से गाए गीत ‘हम होंगे कामयाब एक दिन…। गाकर किया गया।
फाउंडेशन चेयरमैन आर पी गुप्ता द्वारा सभागार में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों व प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनंदन कर कहा गया, कृत संकल्प होकर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए किए जा रहे कार्यो, लक्ष्य हासिल करने के लिए किए जा रहे प्रयत्न, मिल रही सफलता व राष्ट्र निर्माण मे योगदान देने हेतु फाउंडेशन अपने उद्देश्यों के तहत निरंतर प्रयत्नशील है।
फाउंडेशन चेयरमैन द्वारा अवगत कराया गया, सकारात्मक सोच और व्यक्तियों और विशेष रूप से युवाओं के बीच सकारात्मकता का प्रसार तथा संसाधनों व उर्जा और पर्यावरण को बचाना तथा गांवो के सर्वांगीण विकास फाउंडेशन की मुख्य सोच रही है। सर्वशिक्षा, सर्व ऊर्जा, सर्व सकारात्मक सोच परियोजनाओ कार्यो के बारे में सेमिनार और कार्यशालाओ का आयोजन कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग दिया जा रहा है। सकारात्मक ऊर्जा, समाज के वंचित व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की प्राथमिक जरूरतों को पूरा कर रही है। जिनकी परिकल्पना समाज के गरीब वर्ग के सतत विकास के लिए सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए की गई है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मे अचीवर्स जो सकारात्मक के पथ प्रदर्षक रहे, विभिन्न पुरूष्कारों से सम्मानित करना फाउंडेशन अपना कर्तव्य समझता है। व्यक्त किया गया, ‘किया गया प्रयास कभी विफल नहीं होता है।’
स्थापना दिवस के इस अवसर पर फाउंडेशन ट्रस्टी हेमपंत द्वारा फाउंडेशन के कार्यों के बावत अवगत कराया गया। विगत वर्षो में फाउंडेशन द्वारा किए गए कार्यों व उत्तराखण्ड के ग्रामीण अंचल में ग्रामवासियों द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर निर्मित प्रभावशाली डाक्युमैंन्ट्रीयां भी प्रदर्शित की गई। सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं को सकारात्मक सोच पर शपथ भी आयोजकों द्वारा दिलवाई गई। आयोजकों द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों का शाल ओढा कर, पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
फाउंडेशन द्वारा आयोजित पहले सत्र में मुख्य वक्ता के तौर पर देश के प्रतिष्ठित पर्यावरण विद पद्मश्री व पद्मभूषण अनिल प्रकाश जोशी द्वारा कहा गया, आज दुनिया भटकी हुई है। प्रवास में किसी भी मंच से भागीदारी हो जुड़ना चाहिए। विचारों की लंबी-चौडी सीमा नहीं विचार होते हैं। उन्होंने कहा मैं जिस विषय से आया हूं, वह पूरे विश्व का विषय है। सभी की समस्या एक समान है। प्रकृति से जो छेड़छाड़ हुई है उसके दुष्परिणाम आने शुरू हो गए हैं। दिल्ली की हवा बिगडी है, उत्तराखंड में प्राकृतिक घटनाएे घट रही हैं यह सब चेन्नई को भी ले डूबेगा।
पर्यावरण विद अनिल जोशी ने कहा, अपने देश में बड़े आंदोलन होते रहे हैं, कुछ बातें हैं, साझेदारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा, जी20 की बैठक हुई मैं गया नहीं। अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर बैठकें होती हैं, बातचीत होती है। जब से जी20 हुआ है तापमान कम हुआ? दशा सुधरी? नदियां बची हैं? ऐसा होता मैं जी20 को प्रणाम करता, वहां जाता। जलवायु परिवर्तन की जब जी20 में बात करते हैं वे उन चीजों को नहीं दिखाते जहां से तापमान में वृद्धि हो रही है। प्रकृति के नियमों की पालना करना जरूरी है। आपका दायित्व है इसे बचाए। जी20 में वही हुआ जो पहले हुआ था, आगे भी वही होता रहेगा।
पर्यावरण विद द्वारा व्यक्त किया गया, यह विकासशील देश है, विकल्प नहीं है। फ्यूल सिस्टम बंद नहीं किया जा सकता है। भारत मानता है 35 फीसद कार्बन कम किया है। फिर भी आंकड़े हैं, कार्बन बढ़ा है। हवा, पानी, जंगल के आंकड़े नहीं दिखाई देते हैं। भगवान् भी प्रकृति के संरक्षण में रहते हैं, बद्रीनाथ भी केदारनाथ भी। जो दिखता है उसे प्रणाम करते हैं। हवा को पहचानो, पानी व नदी को देखो जो हमें प्राण देते हैं। दिल्ली में संसद है, यमुना काली हो गई है। दिल्ली का वायु प्रदूषण विश्व के सभी आंकड़ों को तोड़ चुका है। कोर्ट भी हारा है, पटाके फट रहे हैं।
उन्होंने कहा, प्रकृति की मार को नहीं रोका जा सकता है। कोविड में प्रकृति ने प्राणवायु दी। प्रकृति मां है। बड़े फैसले होने चाहिए। आपके पास आंकड़े हैं, हवा, पानी कितना बचा है? मकान आदि के आंकड़े होंगे। पर प्रकृति के आंकड़े नहीं हैं।
पर्यावरण विद द्वारा कहा गया, विकासशील देश तभी आगे बढ़ेंगे जब विकास पर ढक्कन लगे, जो संभव नहीं है। यह विकास कितने दिन चलेगा, जानना जरूरी है। जीडीपी अत्याचारी है गांव वालों का इससे कोई लेना देना नहीं जो उनके पल्ले ही नहीं पड़ता। पानी खत्म हुआ, धारे सूखे, यह जीडीपी में नहीं है। जंगल कटने का जीडीपी में आंकड़ा नहीं है। कोसी नदी के पानी घटने के आंकड़े भी नहीं हैं। जंगल कटे, आग लग गई, जीडीपी में नहीं आता। हवा, मिट्टी, पानी, जंगल, जीडीपी में नहीं आते। लेकिन जीडीपी से सब कुछ तो आ गया। पानी जब गंदा हो गया पानी का व्यापार शुरू हुआ। गन्दे पानी से लोगों की तबियत खराब हुई, अस्पतालों की जीडीपी बढी। व्यापार बढ़ा जीडीपी बढी।
अनिल प्रकाश जोशी ने कहा, इकोलाजी की भी अकाउंटिंग होनी चाहिये। वर्षा का पानी श्रोत होता है नदियों के लिए। हमने कितना पानी जोडा हिसाब किताब होना चाहिए, जिस प्रकार जीडीपी का हिसाब किताब रखा जाता है। जीडीपी पश्चिमी देशों की देन है। हमें उत्तराखण्ड के संसाधनों पर जीडीपी आंकना चाहिए।
उन्होंने कहा, महिलाओं के साथ मिलकर अच्छा काम किया है। जंगलों में आग लगती है। उत्तराखण्ड हिमालयी राज्य है नदियों का श्रोत है। पानी बढ़ाने के लिए एक हैक्टेयर में तीन सौ पानी के गड्डे बनाए। प्रकृति के विज्ञान को समझे। एक वर्ष बाद पानी वापस आयेगा गधेरों में। महिलाओं से होल बनवाएे, पानी जीवित होगा। ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ सबके लिए काम कर रही है। कुछ मुद्दों पर समानता होनी चाहिये।
स्थापना दिवस के इस अवसर पर विनोद अग्निहोत्री द्वारा भी पर्यावरण के बिगड़ते हालातों पर प्रकाश डाल कर व्यक्त किया गया, पर्यावरण के मुद्दे पर सरकारे पाखण्ड कर रही हैं। पर्यावरण बिगाड़ने का काम सरकारे कर रही हैं, जो विकास के नाम पर किया जा रहा है। बड़े बड़े डैम, सुरंगे व टनल भी बना रहे हैं, चिंता भी व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रकृति को जीतना व जीना अलग-अलग बातें हैं। विकास के नाम पर प्रकृति विरोधी चरित्र है। राजनीति का मुद्दा प्रकृति नहीं हिंदू, मुसलमान इत्यादि इत्यादि है। जन चेतना जब तक विमर्श का मसला नहीं बनता यह सब होता रहेगा। भारत की नदियों में प्रदूषण सबसे ज्यादा है। तुलसी बरगद, आम पेड सबकी पूजा हम करते हैं, जंगल जल रहे हैं यह पाखण्ड है। प्रकृति अनंत है उसे जीत नहीं सकते। केदारनाथ की त्रासदी में सब सामने आ जाता है। सबक नहीं लिया। तीर्थाटन को पर्यटन व उद्योग बनाकर सब खत्म किया जा रहा है, ये मुद्दे विमर्श में आने चाहिए।
विनोद अग्निहोत्री ने व्यक्त किया, संसद में मुद्दे बिना बहस पास हो रहे हैं, जो भविष्य के लिए ख़तरनाक हैं। मुद्दे नीचे तक जाने चाहिए जनता ही पर्यावरण को बचायेगी। मुद्दा बनेगा तभी सरकारे आगे आयेंगी। पर्यावरण पर सोच बनेगी।
आयोजन के दूसरे सत्र मे पंकज नवानी, विदुषी कर्नाटक, अनीता कनवाल द्वारा भी पर्यावरण सुरक्षा पर विचार व्यक्त किए गए। सकारात्मक सोच से जुडे तथ्यो पर ज्ञान वर्धक विचार व्यक्त किए गए। असफलताओ से गुजर कर सफलता के पथ पर अग्रसर होने की बात पर बल दिया गया। युवाओ द्वारा कैसे चुनोतीपूर्ण कार्य कर मुकाम हासिल किया जा सकता है, के बावत प्रेरणाजनक वक्तव्य दिए गए।
प्रेरणा डांगी व शैलेंद्र यादव द्वारा सकारात्मक तथ्यों पर अपने स्वयं के जीवन पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए गए। पद्मश्री, प्रख्यात कवि व लेखक डाॅ अशोक चक्रधर द्वारा सकारात्मक सोच से जुडी व व्यंग से ओतप्रोत रचनाओं के द्वारा श्रोताओं को लोटपोट कर स्थापना दिवस को यादगार बनाया गया। फाउंडेशन प्रमुख डाॅ आशुतोष कर्नाटक द्वारा भी स्वरचित रचनाओं का पाठ कर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया गया।
स्थापना दिवस के इस अवसर पर ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ द्वारा वर्ष 2023 के विभिन्न नामों से विभिन्न विधाओं में निपुण लोगों व संस्थाओं को पद्मश्री डाॅ अशोक चक्रधर, फाउंडेशन प्रमुख डाॅ आशुतोष कर्नाटक तथा उद्योग जगत से जुड़े रहे टी सी उप्रेती इत्यादि इत्यादि के कर कमलों सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह व पच्चीस हजार रुपयों के चैक प्रदान किए गए।
सम्मान प्राप्त करने वालों में
दधीची- अवार्ड मनोरमा जोशी विद्या मंदिर अल्मोड़ा।
सोशियल ट्रांसफॉर्मर अवार्ड- महिला मंगल दल शीतलाखेत (अल्मोड़ा) व रास्ता फाउंडेशन हिसार, हरियाणा।
यस आई केंन स्टार्टअप तथा अचीबर अवार्ड- रंजीत सिंह शीतलाखेत (अल्मोड़ा), नमिता तिवारी अल्मोड़ा, कविता परिहार शीतलाखेत (अल्मोड़ा), प्रताप द्विवेदी, नवीन कपूर, डाॅ बिहारी लाल जलंधरी (लेखक कुमाऊनी, गढ़वाली बोली-भाषा), अनुज गांधी, संध्या भोला (नोएडा),
एसडीजी (ओ) पॉजिटिव अंबेसडर अवार्ड- रंजीत सिंह, नवीन टम्टा, नवीन बिष्ट व प्रताप बिष्ट सभी अल्मोड़ा जिला तथा रवि दुबे (दिल्ली) के साथ-साथ स्टयुडैन्ट अवार्ड- हर्षित बिष्ट व खुशी को प्रदान किया गया।