बिहार में मुस्लिम सियासत ने ली करवट, ओवैसी उभरे नया चेहरा; राजद का MY समीकरण टूटा?

 बिहार में मुस्लिम सियासत ने ली करवट, ओवैसी उभरे नया चेहरा; राजद का MY समीकरण टूटा?
पटना। बिहार चुनावी नतीजों से लगता है, जैसे बिहार में लंबे समय से नेतृत्व के सूखे का संकट झेल रही मुस्लिम बिरादरी ने नया नेतृत्व चुन लिया है। इस बिरादरी ने राजद के माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण से किनारा करते हुए एआईएमआईएम का दामन थाम लिया है। मुस्लिम मतों में बंटवारे के कारण बीते चुनाव के 19 विधायकों के मुकाबले इस बार महज 11 मुस्लिम प्रत्याशी ही प्रदेश में चुनाव जीत पाए हैं। इन 11 में से पांच एआईएमआईएम से हैं। विपक्षी महागठबंधन में राजद से तीन और कांग्रेस के दो मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली है। एक अन्य मुस्लिम को जदयू के टिकट पर जीत मिली है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्षी महागठबंधन को न सिर्फ सीमांचल, बल्कि कई अन्य मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर ताकत का अहसास कराया। बीते चुनाव के बाद चार विधायकों की बगावत के बावजूद पार्टी ने पिछली बार जीती सभी सीटें बायसी, अमौर, जोकीहाट, बहादुरगंज और कोचाधामन बरकरार रखी हैं। इसके अलावा पार्टी उम्मीदवारों ने बलरामपुर, दरभंगा ग्रामीण, गौराबौरम, प्राणपुर, कसबा, ठाकुरगंज, शेरघाटी सीटों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहते हुए वोट काटकर विपक्षी महागठबंधन के उम्मीदवारों को जीत हासिल नहीं होने दी।
पिछली बार से अलग हैं संदेश
नतीजे मुस्लिम सियासत के संदर्भ में अलग संदेश दे रहे हैं। बीते चुनाव में एआईएमआईएम भले ही पांच सीटें जीती थी, मगर इसके अलावा एक भी सीट पर उसके उम्मीदवार महागठबंधन के उम्मीदवारों की हार का कारण नहीं बने थे। तब उसके अन्य उम्मीदवारों को औसतन दो से तीन हजार वोट मिले थे। इस बार पार्टी ने जिन 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, उनमें से 16 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों को 10 हजार से लेकर एक लाख से भी अधिक वोट मिले। AIMIM को 1.85% फीसदी मत यानी 9,30,504 वोट मिले हैं।
सीमांचल में चार में से दो सीटें जीतीं
बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र में AIMIM प्रत्याशी तौसीफ आलम ने 85,300 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। कांग्रेस प्रत्याशी 56,774 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र (55) में AIMIM के सरवर आलम ने 81,860 वोटों के साथ जीत हासिल की। राजद प्रत्याशी मास्टर मुजाहिद आलम 58,839 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।
महागठबंधन को भारी पड़ी मुस्लिमाें की नाराजगी
राज्य की 18 फीसदी मुस्लिम बिरादरी नब्बे  के दशक से राजद का साथ देती रही है। इस चुनाव में महागठबंधन की ओर से मुस्लिम समुदाय से किसी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार नहीं बनाना बड़ा मुद्दा बन गया था।
सबसे कम मुस्लिम विधायक
21वीं सदी में हुए सात चुनावों में इस बार विधानसभा में सबसे कम मुस्लिम प्रतिनिधित्व होगा। जदयू के जमा खान एनडीए से जीतने वाले इकलौते मुस्लिम हैं। 2005 में 16, 2010 में 19, 2015 में 24 और बीते चुनाव में 19 मुस्लिम विधानसभा पहुंचे थे।
कांग्रेस नेता ने भी इशारों में कही यह बात
कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने बिहार चुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने AIMIM की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मुस्लिम वोट बैंक को हल्के में लिया जाता है। इसलिए जब भी उन्हें तीसरा विकल्प मिलता है, वे उसी की ओर झुक जाते हैं।